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________________ “निःसंदेह श्रीराजेन्द्रसूरिजी एक महान् साध और विश्वविश्रुत विद्वान् थे। उनका 'अभिधान-राजेन्द्र' उनकी विद्वत्ता का और उनकी गतिशील साहित्यिक गतिविधि का स्थायी स्मारक है ।" -पी. के. गोडा "मेरे धर्ममित्र श्री प्राग्वाटस्वामी के पास 'अभिधान-राजेन्द्र' के विशद सात भाग देखकर भारतीय ज्ञान-गाम्भीर्य के विद्योदधि श्रीराजेन्द्रसूरि की इस चमत्कार-पूर्ण अद्वितीय सृजन-क्षमता के प्रति सहज ही नतमस्तक हो गया हूँ।" -चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य "कोश के विभिन्न भागों के विहंगावलोकन मात्र से पाठक को जैनधर्म और दर्शन के अपरिहार्य तथ्यों की जानकारी हो जाती है। जब हम यह कहते हैं कि कोश के इन भागों में साढ़े चार लाख श्लोकों और सूत्रों की उद्धरणी हुई है तो हमें इसकी विशालता का सहज ही बोध होता है। कोश में ६०,००० शब्द व्याख्यायित हैं।" -के. ए. धरणेन्द्रया ___ 'अभिधान-राजेन्द्र' महान् कोश के प्रणेता श्रीमदविजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी ने स्वयं ही अपना मार्ग प्रशस्त किया और वे दूसरों के लिए पथ-प्रदर्शक बने । उनका चारित्रिक बल, उनकी विद्वत्ता और निर्भीकता सराहनीय है। उनके विरचित ग्रन्थ उनके सच्चे स्मारक हैं।" -गुलाबराय, एम. ए. "जब विद्यालयों में अच्छे अध्ययन-अध्यापन के लिए गोमट्टसार-जैसे पारिभाषिक लाक्षणिक ग्रन्थों को चुना जाता है, तब इस प्रकार के कोशों की आवश्यकता अधिक अनुभव होती है। बहतेरे जैन पारिभाषिक शब्दों के उद्धरण तथा व्याख्याओं को खोजने में रतलाम से सात भागों में प्रकाशित विजयराजेन्द्रसूरि का 'अभिधान-राजेन्द्र' कोश उपयोगी सिद्ध हुआ है, यद्यपि इसका विस्तार बहुत है।" । -डॉ. हीरालाल जैन "राजेन्द्र कोश' एक अक्षय्य निधि है। संसार का एक अनुपम तथा अनूठा साहित्यिक ग्रन्थ है । जैनधर्म या दर्शन विषयक किसी भी अनुसन्धान के निमित्त 'अभिधान-राजेन्द्र' एक अपरिहार्यता है।" -भट्टारक देवेन्द्रकीति तथा चारुकीति “आचार्य प्रवर श्रीमद्राजेन्द्रसूरिजी ने अभिधान-राजेन्द्र नामक महाकोश का निर्माण कर जैन प्रजा के ऊपर ही नहीं, समग्र विद्वज्जगत् पर महान् अनुग्रह किया है। ऐसी महद्धिक कृति का निर्माण कर उन्होंने विद्वत्संसार को प्रभावित एवं तीर्थंकर : जून १९७५/६० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520602
Book TitleTirthankar 1975 06 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1975
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size4 MB
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