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________________ अभिधान राजेन्द्र : तथ्य और प्रशस्ति - मुनि जयप्रभविजय तथ्य (समग्र) ___ ग्रन्थनाम : अभिधान राजेन्द्र ; ग्रन्थकर्ता : श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरीश्वर (१८२७ई. -१९०६ ई.); प्रकाशक : श्री अभिधान राजेन्द्र प्रचारक सभा, रतलाम (मालवा); आकार : सुपर रॉयल 1; २५ सेंटीमीटर x ३५ सेंटीमीटर ; टाइप : १६ पाइण्ट ग्रेट नं. १ तथा १२ पाइण्ट पैका नं. १; भाग : सात ; कुल पृष्ठसंख्या : ९,२०० ; मुद्रणालयः जैन प्रभाकर प्रिंटिंग प्रेस, रतलाम ; मुद्रण-काल : १९१० ई.-१९३४ ई.; ग्रन्थसंशोधक : मुनि श्रीदीपविजयजी, श्रीयतीन्द्र विजयजी; भाषाएँ : मागधी, प्राकृत, संस्कृत; संपादन आरंभ होने का स्थान और तिथि : सियाणा (राजस्थान), विक्रम संवत् १९१६, आश्विन शुक्ला २ ; समापन का स्थान और तिथि : सूरत (गुजरात), विक्रम संवत् १९६०, चैत्र शुक्ला १३; संदर्भ ग्रन्थ-संख्या : ९७; कुल व्याख्यायित शब्दों की संख्या : ६०,००० । तथ्य (भागशः). पष्ट-संख्या व्याख्यायित शब्दक्रमें १४४+८९३ ल भाग प्रकाशन-वर्ष *प्रथम १९१३ ई. द्वितीय १९१० ई. ततीय १९१४ ई. चतुर्थ १९१३ ई. पंचम १९२१ ई. षष्ठम १९३४ ई. सप्तम १९३४ ई. ११८७ १३६३+१ १४०४ अ - अहोहिय आ - ऊहापन्नत ए - छोह ज - नोमालिया प - भोल म - वासु श-ह्व १६२७ १४६८ १२५२ * प्रथम भाग में शब्द-व्याख्याओं के अतिरिक्त आरंभ में ग्रन्थकर्ता-परिचय, सौधर्मबृहत्तपागच्छीय पट्टावली, प्रस्तावना, प्रमाण-ग्रन्थ-सूची, प्रत्येक खण्ड के कतिपय शब्दों के उपयोगी विषयों का आकलन, शब्दसूची (अ-क), उपोद्घात (संशोधकों द्वारा), परिशिष्ट (सिद्धहेमशब्दानशासन, प्राकृतसूत्र, संक्षिप्त प्राकृतशब्दरूपावलिः) दिये गये हैं। तीर्थकर : जून १९७५/५८ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520602
Book TitleTirthankar 1975 06 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1975
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size4 MB
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