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________________ 58 अनुसन्धान ३६ खुद भगवान् महावीर के चरित में अद्भुतता के अंश कई बार पाये जाते हैं । त्रिशला रानी के चौदह स्वप्न,२३ हरिनैगमेषी देव के द्वारा देवानंदा ब्राह्मणी के उदर से गर्भस्थ बालक का अपहरण और त्रिशला के उदर में स्थापन,२४ अंगुष्ठ द्वारा मेरुपर्वत का चलन,२५ उनके ३४ अतिशय (अद्भुत),२६ गोशालक द्वारा छोडी गयी तेजोलेश्या से यक्षद्वारा संरक्षण,२७ गौतम गणधर के मन में उठे हुए प्रश्नों को जानकर उनका समाधान करना,२८ इस महिमा से प्रभावित होकर ग्यारह ब्राह्मणों ने महावीर के शिष्य बनना२९ आदि कितनेक अद्भुत यही सिद्ध करते हैं कि भगवान् महावीर का जनमानस पर इतना प्रभाव होने का एक कारण यह अद्भुतता भी है । केवलियों ने समुद्धात के द्वारा अपने आत्मप्रदेश चहूँ ओर फैलाना,२० आचार्य कुन्दकुन्द का चारण ऋद्धि से महाविदेह क्षेत्र गमन, ३१ अन्यान्य जैन मुनियों का आकाशगमन, प्रभव ने किया हुआ अवस्वापिनी विद्या का प्रयोग, ३२ स्थूलिभद्र द्वारा सिंह का रूप धारण करना आदि अनेक अद्भुत कृत्यों के निदर्शन जैन साहित्य में विशेषतः चरित-साहित्य में भरे पड़े हैं। अगर जैनियों का इन सारी अद्भुत और रोमांचक घटनाओं पर विश्वास है तो गीता के इस विश्वरूपदर्शन की अद्भुतता पर संदेह करना ठीक नहीं होगा। दोनों परंपराओं में अद्भुतता के अंश होने के कारण हम एक की अद्भुतता ग्राह्य और दूसरे की त्याज्य ऐसा तो मान नहीं सकते । अगर करेंगे भी तो साम्प्रदायिक अभिनिवेश ही होगा । अद्भतता के बारे में हम एकदूसरे की निन्दा नहीं कर सकते । दोनों परंपराओं में भगवान महावीर और भगवान कृष्ण अनेक ऋद्धियों से सम्पन्न हैं । फर्क इतना ही है कि वैदिक परंपरा में कृष्ण को 'योगेश्वर' कहा है | चरितों में रस और अलंकार की दृष्टि से अद्भुतता लायी जाती है। यह विधान अगर सत्य है तो वह दोनों के बारे में सत्य है । भगवान महावीर के पास ३४ अतिशय हमेशा उपस्थित रहते हैं । कृष्ण ने भी प्रसंग आते ही अपने योगैश्वर्य का प्रकटन किया है । अगर इन अद्भुतताओं की योजना महावीरचरित में धर्मप्रभावनार्थ है तो कृष्णचरित में भी धर्मसंस्थापनार्थ है । जैन दर्शन के चिकित्सक विचारवंतों Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229573
Book TitleShrimad Bhagdwadgita ke Vishwarup Darshan ka Jain Darshanik Drushti se Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNalini Joshi
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages17
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size423 KB
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