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________________ के लाभ के कार्यों में अपना काफी समय दिया। इनके जेलयात्रा भी की। 30 अप्रैल 1938 को विदिशा के काल में क्षेत्र के सर्वांगीण विकास की ओर काफी ध्यान प्रसिद्ध अभिभाषक श्री तख्तमल जैन के सद्प्रयत्नों से दिया गया। आपने सभी धर्मों को प्रगति का समुचित ग्वालियर में सार्वजनिक सभा की स्थापना हुई जो बाद अवसर दिया। वे स्वयं सभी धर्मों के विशेष उत्सवों में में ग्वालियर स्टेट कांग्रेस में परिवर्तित हो गई। इसी भाग लेते थे। क्रम में समाजवादी विचारधारा के श्री भीकमचन्द जैन ने भी राजनीतिक एव जन-जागरण आन्दोलनों में एवं इनके शासनकाल में अनेकों जैन मन्दिरों का निर्माण गतिविधियों में सक्रिय एवं उल्लेखनीय भाग लिया। कार्य संपन्न हआ। सन 1903 में मामा के बाजार में इनके अतिरिक्त अन्य कई जैन धर्मावलंबियों ने भी जो भी , एक और जैन मन्दिर का निर्माण कराया गया, जो बड़ा ग्वालियर के राजनीतिक एवं सांस्कृतिक विकास में मन्दिर मामा के बाजार के नाम से जाना जाता है / गतिशील योगदान दिया। - माधवराव सिंधिया के काल में राज्य में अनेकों इस प्रकार ग्वालियर के सांस्कृतिक विकास में जैनों विकास कार्यक्रम संचालित हुए। इस बीच सम्पूर्ण देश में ने अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह की है। ग्वालियर कांग्रेस और महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वाधीनता के इतिहास, साहित्य एवं पुरातत्व का एक बड़ा भाग आन्दोलन की लहर ने देशी राज्यों में भी जन जागृति को जैनों से प्रभावित रहा है / आज इस सम्बन्ध में जो भी प्रोत्साहित किया। ग्वालियर भी इससे अछूता न रहा। साहित्यादि प्रमाण उपलब्ध हैं, उनकी रक्षा में भी जैनों गांधीजी के विचारों में अहिंसा की प्रधानता ने जैनों को ने अत्याधिक महत्वपूर्ण योग दिया है, उनके इस गण के. सर्वाधिक आकिषत किया। ग्वालियर में 1917 ई. में कारण सुरक्षित साधनों ने ही आज ग्वालियर के इतिश्री श्यामलाल पाण्डवीय ने ग्वालियर राज्य में "गल्प- हास के उपलब्ध ज्ञान को उजागर किया है, तथापि आज पत्रिका" के नाम से सर्वप्रथम समाचार-पत्र प्रकाशित भी इसके बहुत से पक्ष लुप्त हैं, जिन्हें उजागर करने को कर पत्रकारिता के माध्यम से राजनीति में प्रवेश किया। पर्याप्त शोध की आवश्यकता है। अपने उग्र विचारों के कारण वे कई बार दण्डित हए व . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.210470
Book TitleGwalior ke Sanskrutik Vikas me Jain Dham
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Malav
PublisherZ_Tirthankar_Mahavir_Smruti_Granth_012001.pdf
Publication Year
Total Pages24
LanguageHindi
ClassificationArticle & Culture
File Size3 MB
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