SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 00 कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : पंचम खण्ड कलियुग मांहि विक्रमराय नो, सोहाग सुन्दरि महिमा माजनो। जेहनि सानिध देव सदा करें, आगलि ऊभा आपद अपहरें। अपहरें आपद चरित सुणतां, नामथी नव निध मिलें। परतर गर्छ श्री जिनचंद सगुरू, रूड़े सेवता वंछित फले // सतर चउविसे किसन दसमि, आदि आसाढे सहि / वाचनाचारिज अभसोमे, मतिसुन्दर काजों कहि // 4 // // इति श्री विक्रम चौबोलि चउपि सम्पूर्णम् / / // सकल पंडित प्रवर प्रधान पंडित शिरोरत्न पंडित मुकटामान पंडित श्री श्री कांतिविजय गणि गुरुभ्यो नमः // मिति भद्र संवत् 1760 वर्षे मृगशिर बदि 6 दिन अर्कवासरे। सकल पंडित प्रवर प्रधान पंडित शिरोरत्न पंडित मुकटायमान पंडित श्री५श्री कांतिविजयगणि तत्शिष्य गणि वीरविजय मेघाजि, लिपिकृतं / / मंगलं लषकानां च पाठनां च मंगलं, मंगलं सर्वलोकानों भूमो भूपति मंगलं // 1 // श्रीरस्तु कल्याणमस्तु !! सज्जन फलज्यों अंब जिम, बड जिम विस्तर ज्यों। मासे वरसें जो मिला, तो उण रंगे रहज्यों / 000 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.210100
Book TitleAbhaysomsundar krut Vikram Chauboli Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadanraj D Mehta
PublisherZ_Kesarimalji_Surana_Abhinandan_Granth_012044.pdf
Publication Year1982
Total Pages7
LanguageHindi
ClassificationArticle & Stotra Stavan
File Size546 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy