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________________ -अन्त भाग Jain Education International अभयसोमसुन्दरकृत विक्रम चौबोली चउपि लोक बोक बांतां करे, जीवनी तेहनि आगे रे । कहें तोमें तेजि नहि, के पीहर कोइ लागें रे । १४ बो० ॥ ॥ दूहा ॥ पूठि । कामदेव मनि दुष धरे, केहनें सूझे रथ सारिथि एकलें, पुछितात चल्यों उठि ॥ १ ॥ मारगि अरधे आवतां, पेष्यों एक प्रसाद । सुररांणि सचि सगति, बाजें घंट निनाद ॥ २ ॥ आसा पूरण इसरि, अगि सह आवै जात कामदेव देषि प्रसन्न, करें मनस्युं बात ॥ ३ ॥ हिवडां माहिर अस्तरि, बोलावे मुझे सात | सो माता तो आवलें, कमल चढावु' 'हामि ॥ ४ ॥ आरति एहवि आपणि, आयमि उजिऊ ग्यान । माता आगलि नामऊ, मस्तक पूजा मान ॥ ५ ॥ हतोजाइ सासर पणी भगतिई तिथ बार। 1 सासू सुसरा स्युं मिलि करें बहुलि मनुहारि ।। ६ ।। संतोष सप्रेडिऊ, चाल्यों त्रिया समेति । हर धरतों विडी सफल जांण तो हेत ॥ ७ ॥ ॥ ढाल १७ मी - राग धन्यासि ॥ कहें । रहे ॥ १ ॥ इक दिनां राजा सुतो मन्दिरे, चित्ते मन में कुंण रक्षा करें । माहरे मालवें कवाणये ईहा आयो त्रिया हूं परणवे ॥ परणवें त्रीयां ईहां आयो, प्रजा मारि दोहिलि । हूँ बेग जाऊ पंथ दूरें, एह बालों मुझ भलि ॥ इम राय मन में करें चिता, देषि तिलाबें बैठा उदासि आज प्रिउडा, एम कदि हिं ना कहो हिव प्रिउडा बात मन तणि, मो हूंति कोई छांनी तु मृतणि । याहा जेहवि कहियो मुझ भणि हे अरर्धगि बाल्हा अति घणि ॥ अति घणि वाल्हा वासि ताहरी, कहो गुरु कृपा तब कहें राजा मानवानि, राजध्यानी हुं पम्मार विक्कम नाम माहरो आयो कारिज ए राज थाने भला, जाउ बेग बोलें बालि लाछि लिलावती, केहि चिंता प्रीउडा एवति । हिवडां जास्यां थानिक आपणें, राजा विक्रम हरषें अति घणें ॥ अति घणे हरषे, विमान उजेणि कुसले गया । । करि माहरि ॥ ताहरें । मनें सेबल सामेला थया || देई बधावे धवल गाई, स राजा प्रजा सवि आय नमिया, लिलावती स्युं राय विक्रम, महिमा रंगरलि । वई चितव आस्या For Private & Personal Use Only " माहरें ॥ २ ॥ फलि ॥ ३ ॥ ५६६ -0 -0 ० www.jainelibrary.org.
SR No.210100
Book TitleAbhaysomsundar krut Vikram Chauboli Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadanraj D Mehta
PublisherZ_Kesarimalji_Surana_Abhinandan_Granth_012044.pdf
Publication Year1982
Total Pages7
LanguageHindi
ClassificationArticle & Stotra Stavan
File Size546 KB
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