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________________ 96 एंकरका एए दीसंति गेहपासम्मि । मन्त्रीहिं जहता जंमा कुंमा य तुड़ सवे ॥ ७९ ॥ सोऽवि तुम जा का कार्ड महीचि तुममहवा । कप्पूरोऽवि खवणे महाखाचि नि ॥ ७६ ॥ यानिय सोमोसोमती व विज्ञानं । काजरन मिरसिरो पर्यपिचं एवमाढसो ॥ 99 ॥ पुवजव कियदुक्कम्मदोसत्र हं हं पत्तो । जहानिंटि द सिमासंकुलनिवासमहो ॥ ७८ ॥ हर करम या िकिमहं नियधुलो विरमसहं । पतोहि पावत्रस जूहन्नो जहा दरिणो ॥ ७५ ॥ यह सिवचंदी विड़िया रोहिसिडि सरिनु पुछे । नामिणि साइतु सवनं महवंधत्रपुत्रजवचरियं ॥ ८० ॥ उहिनाएं जालिय तप्पुबजम्मवृतं । श्ररक रोहिह्रिदेवी पुरचं त्रिचंद ॥ ८१ ॥ नइ जामयं का जमाखोऽयं पुरा बम्मे । चंमालकुले तेणं पता हु विचशा एवं ॥ ८२ ॥ श्रमपि खखियं नुमए सम्मं विसोहियं जम्दा । तेषुत्तममुहनोई इय कड़िय तिरोहिया श्रमरी ॥ ८३ ॥ डु सोनं सिवचंदो पुषसिदेए जायरं जइ । कुकुकुंबप्पण्यतरं श्रवि सुख जाया ॥ ८५ ॥ चरियाई जो काळ निच तवचरणं । एयस्स समूहस्स देसु सखितंजलि नियमा ॥ ०५ ॥ चव सोमचंद जाया निस्सोमिया कह होही । श्रासन्नप्पा मह मिंजाई कहवि वहति ॥ ८६ ॥ कुमाउं निवमेियं मुष्किल सकाएरिहं । नियनयरं संपतो स सोमैचंदो महीनाहो ॥ ८१ ॥ १ निःखामिका. २ सोम्पेन चन्द्रः शिवचन्द्रनामा महीनाथः 87
SR No.090458
Book TitleUpdeshsaptatika
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages498
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Sermon
File Size13 MB
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