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उपदेश
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करि पावर ताल दंग पावित इह खोयहिं सो खंग || 3 || करचरन अंगुलि सकिय जास कदमि जिम यडिय | बुडुनास । अघरहरसह महारउद रूविहिं बीहावई लोयखुद्द ॥ ० ॥ नरकुकर कर कदं तासु करि ककर खंगदेवि जासु । यह दिवं दिविहिं सयललोइ सिरिवीरपासि श्रावंत सोइ ॥ ए ॥ षत्त- एरिस तं पिश्लिय गोयमि पुत्रिय * वीरनादमह आइस । इषि केरिस किन पावविरुद्ध जेणि सहइ एरिसट हुइ ॥ १० ॥ जासह सामिय रक महू
वाणि तं किं पिकर जिय रुद्दकाहि । घणघोरकम्म करुणाविमुक्त निस्संकपण बहुपावदुक्क ॥ ११ ॥ जिएि एरिस दुरकर पंजरम्मि निवर्फत सयावि व जऊरम्मि । तो पुछइ गोयम पुरावि वीर मह कइल नाह गंजीरधीर ॥ १२॥ एयारिस धनराज कोवि वरोऽवि श्रत्थि स्किर्ट जणोऽवि । जं पिरिक विरच कामिणोऽवि संसार विसयसुरकाल तेऽवि ॥ १३ ॥ पहु चागरेश् इत्येव गामि नरनाडु अस्थि जो विजयनामि । तसु रमणि मिगानंद व फुस्कियजण चूकामणि सदीव || १४ || नडु नयएवयकरचरण तासु नदु दीस नासा कन्न जासु । नडु सीसनमुह श्रह रुन्नि इस कुरूवर्य चनुवनि ॥ १५ ॥ पाईए बहिर धस्सरूव कियकम्मि नपुंसग कुरकरूव । श्रागार मिस पंचिंदियाण तसु श्रत्थि देडु किक्कठा ॥ १६ ॥ श्रमनामिक तस्स गनंतरेऽवि प्रितरवाहिणि तह श्रदेवि । बाहिरपवहाच तदेव
अनाकि पूए वदंति सुछु ॥ १७ ॥ सोशिय वहति अरुनाडिया तद् कन्नघमहिनासंतरा । पुन्निय मुन्निय नामी वर्हति सोणिय तह पूजे अरंत ॥ १८ ॥ श्रग्गित तसु वायु सयावि अंगि गन्नेऽवि डु पावतरणसंगि ।। पकुलइ सो सोमाहारमेव श्रइरनिगंध सुझर तदेव ॥ १८ ॥ एरिस असुरकनर अहवे नारय जिम का
अश्क
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सप्तरीका.
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