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दरिकणानिमुहमेसो । पिठइ एगं समणं कालस्सग्गध्यि तत्थ ॥ ४५ ॥ अवस्करहिं सम्म धम्म मह कइसु जो महास-12 मण । नो चे तुइ सीसमहं चिंदित्तु फसव पामिस्सं ॥ ४६॥ उवउंगर्ड वियाणिय तप्पमित्रोइं मुणी समुन्नवइ । चवसमविवेयसंवरपयतियमिमममयविंऽसमं ॥ ४॥न हु संकिलेसबहुखे वाणे गर्न महोचियमवस्सं । इय विनाय महप्पा विहगुब स वोममुड्डीणो ॥४०॥ तत्तो चिलापुत्तो तत्तोऽवि दुपावपुंजगिम्हेण । सित्तोब पयतियुऊलसीयवसलिए संजा ॥४ए ॥ चिंता चिचे सत्ते कारुममगपमुबहतो सो। पयतियमेयमणग्धं मणिव नणु मुपिवईदिनं ॥५॥ | कोहवसट्टो अयं कत्तो मह उवसमस्स लेसोऽवि । तत्तो जावजीव मए कसाया परिचत्ता॥५१॥धणसयणाविवेगोद कायचो तह भए पमत्तेण । इय नाउं सीसं तह खग्गं हत्थान मिहेश ॥ २२ ॥ मणदियाए निच्चं कायवो संवरो मएऽवस्सं । एवं धीमसंतो निश्चलका छिळ एसो ॥ ५३॥ धन्नो सो नणु समणो तिन्नि पया मज्ज जेण उवा । अह-17 मवि तकहियपद्दे ग सामि नियका ॥ ५४॥ श्य चिंत (ति) रस्स तस्स य रुदिरखरंटियतणुस्स गंधेण । कीमीट निग्गयाई खाश्चमारझमेयादि ॥ ५५ ॥ पायतलं निंदित्ता विणिग्गया तान सीसदेसंमि । तह जकारियं देहं जह जायं चाखिए तुझं ॥ ५६ ॥ देहम्मि दोहराई जायाई सयसहस्सविदाई । मुक्कयरासीण श्माणि किमिह निकाएमग्गाणि ॥५॥ अनिवि तणुपी अहियासंतो चिलाइपुत्तो सो। सुहकाणाडे न चबा मेरुब अश्व निकंपो॥ ५० ॥ नक्किच्च्का -- खिमसरीरेण तेण सिण । श्रष्ठाश्यदिवसते लाग्यपांतमणुपत्तं ॥ ए ॥ संपत्तो सुरखोए सहसारे सारसुस्कसंजार।। बदुपुरकसमुत्तारे चिदात्तो गुणपवित्तो ॥ ६ ॥ तारिसपाविश्वनिही बहीव प्रतिबदोसरोमिचो । जं सोवि गडे
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