SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 220
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उपदेश ॥ १०४ ॥ वे कम्पग मारि मुणी ढुंतो । कम्ममुनं तं सुसमा जुधाइ पुराविहियं ॥ २७ ॥ तो विमसम्मशो सो घटो नियतो पुरा निमुग्गे । गिरिहन्तु सुयादेहं पत्तो श्री मारुवी ॥ ३० ॥ जा जिभूखसहिया फुरंतचित्ता लतम यसिरया । सबिसादा य साद्दा नहसिरिसारिया जा य ॥ ३१ ॥ तीए मज्जाव मिर्ज नमि तदाहा जा सिद्धी । दुदियानुसोगचो ता मञ्चहरकणो जार्ज ॥ ३२ ॥ चिंतितमेसो सम्मोकिमेयमसमंजसं समुन्नूयं । पुड़िया इया कह हा पिता खु श्रम्हाणं ॥ ३३ ॥ किं इंदजानमेये किं वा दिवस्स विलसियमतुलं । श्रवा परिकूलत्ते कम्माणं किं न संजइ १ ॥ ३४ ॥ श्रदूरे पिया दिवा न संबलं तह नित्यरियवं कई बसणं ॥ ३५ ॥ इय परिजाविय जलिया तया विषयाणमंत सिरकमखा । मं नरकेण श्रहो संप‍ नियजी वियं धरह || ३६ | नगरं गंतूय त पचा दाणाश्पुन्नकरणेहिं । कुत्र श्रम्पविसुद्धिं मा अम्द कुलस्कचं होत ॥ ३७ ॥ पंचत्तमुवगए पंचसुवि पसत्यवंस तिलएसु । तो पढमसुतं पुो को तुमं ताय ॥ ३८ ॥ किमप्यवियप्पेदिं एयं मयमंगमेव नस्केछ । तो तेहिं तहा विहियं धात्तदुदेहिं सबहिं ॥ ३५ ॥ जोत्यमिह तहेव अतुल मुहार हियमुशिएवि जद नायाधम्मक हाऍ जासियं तद् मुणैयवं ॥ ४० ॥ संपत्तो धसिडी हिडीकयमाणसो नुहाउं । रायगिमिमी तर्ज मयकिचाई कासी य ॥ ४१ ॥ तत्तो नियजिहसुए आरोविय गेहजारमिव खंजे । सिरिवीर जिलेसरपयकमखे जखत्तमुवगम्म ॥ ४२ ॥ पव परिचय वडिय सावजजोगसंचारं । इकारसंगधारी बहूषि वासाणि उग्गतवं ॥ ४३ ॥ काढं सोड़म्मसुरो कोसाऊ सुरो समुप्पन्नो । अइ सो विलापुतो रचो तवया पिलाए ॥ ४४ ॥ अवकोसी कयखग्गो चैतो 2.09 सहका li
SR No.090458
Book TitleUpdeshsaptatika
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages498
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Sermon
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy