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शाचगभगा .पापागाणा
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जा चिच्य तत्थ खणं मणम्मि साणंद कुमारो सो । वेगेण गयणमग्गे ताव स जाणुप्पहो पसो ॥ १॥ तं पिरिकय सो अरका रोसारुणखोयणो घणुवेगा। रे रे खहुँ करे कुरु खग्गमई मारइस्सामि ॥ ५॥ इस विरजापिसो पासमुवागम्म मुंचई खगं । गाढप्पहारमुग्गामिळण कुमरस्स निस्सक ॥ ३ ॥ वंचित्तु तप्पहार सार पुनोदय स धारतो । जब पमिप्पहार खग्गस्स महाउदग्गस्स ॥ ४ ॥ पंचत्तमणुप्पत्तो तम्घायवसेण तरकणेणेसो । जाउ रेजिया पश्पोरिसमसरिस दई ॥५॥ गिरिहत्तु जारिया तत्तो तुरियं स चलिर्ड कुमरो । सोबद्दबाएतिई न सुंदरा होइ कस्सावि ॥६॥ जाव गर्न थेवंतरमत्यमिर्ज ताव पासराहीसो। तो वंसजालियाए गेहागारं धरती ॥ ७ ॥ गाविसु जारिवा तम्मज्के सो हुठे सुनिच्च (चिं) तो । तरवारिं करिय करे सयं शिल तहुवारमि ॥ ॥ जाए पनायसमए जा पिड पपणीजुयं कुमरो। ताव न पिस्कर तत्थ च्यिा ताजे समहिलाए॥ ता विम्हयमाषनो चिंतश् ता गया कत्थ हो । केषवि अवहरिया नीदरिया अहव ता॥ ॥ एवं वीमसंतो जा बल रायनंदणो चित्ते । पाठवभूव तावेगसुरो स नोश्यदिगंतो ॥१॥ पुर विच्चा सो अबकी य जाणासि मं न वा सुजग। कुमरेणुतं नाई मुणामि तो बोझए अमरो॥ ए॥ निसुणसु सुयस नई जो तुमए निजामिळ पुरा खयरो। जो सो श्रहं मरित्ता पंचमकप्पम्मि संजाल ॥३॥ दस्स समापिडी देवो सेवोधि मुरगणस्स । जिपधम्माराहप किं किं न दुखलए सुरकं । ए॥