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________________ पवयणसारो ] [ ३८७ कथित निश्चय व्यवहार मोक्षमार्ग से विलक्षण भाव को उन्मार्ग में लीन कहते हैं, इस तरह चार विशेषण सहित परिणाम को व ऐसे परिणामों में परिणत होने वाले जीव को अशभोपयोग कहते हैं ॥१५॥ अथ परद्रव्यसंयोगकारणविनाशमभ्यस्यति---- असुहोवओगरहिवो सुहोवजुत्तो ण अण्णदवियम्हि । होज्जं मज्जत्योऽहं गाणप्पगमप्पग झाए ॥१५॥ __ अशुभोपयोगरहितः शुभोपयुक्तो न अन्यद्रव्ये ।। भवन्मध्यस्थोऽहं ज्ञानात्मकमात्मकं ध्यायामि ॥१५॥ यो हि नामायं परद्रव्यसंयोगकारणत्येनोपन्यस्तोऽशुद्ध उपयोगः स खलु मन्दतीनोवयदशाविधान्तपरद्रव्यानुवृत्तितन्त्रत्वादेव प्रवर्तते न पुनरन्यस्मात् । ततोऽहमेष सर्वस्मिन्नेव परब्रव्ये मध्यस्थो भवामि । एवं भवंश्चाहं परद्रव्यानुवृत्तितन्त्रत्वाभावात् शुभेनाशुभेन वा शुद्धोपयोगेन निमुक्तो भूत्वा केवलस्थद्रव्यातुवृत्तिपरिग्रहात् प्रसिद्धशुद्धोपयोग उपयोगात्मनास्मन्येव नित्यं निश्चलमुपयुक्तस्तिष्ठामि । एष मे परतव्यसंयोगकारणविनाशाभ्यासः ॥१५६॥ भूमिका-अब, परद्रव्य के संयोग के कारण अशुद्धोपयोग के विनाश का अभ्यास बसलाते हैं :-- __ अन्वयार्थ-[अन्यद्रव्ये] अन्य द्रव्य में [मध्यस्थः| मध्यस्थ [भवन् ] होता हुआ [अहम् ] मैं [अशुभोपयोगरहितः] अशुभोपयोग रहित होता हुआ, (तथा) [शुभोपयुक्तः न] शुभोपयोग न होता हुआ [ज्ञानात्मकम्] ज्ञान आत्मा को [ध्यायामि ] ध्याता हूं। टीका—जो यह (१५६वीं गाथा में) परद्रव्य के संयोग के कारणरूप से कहा गया अशुद्धोपयोग है यह वास्तव में मन्द-तीन उदयवशा में रहने वाले परद्रव्यानुसार (द्रव्यकर्म अनुसार) परिणति के अधीन होने से ही प्रवर्तित होता है, किन्तु अन्य कारण से नहीं । इसलिये यह मैं समस्त परदन्य (सुख-दुःख अथवा रागद्वेष आदि औदयिकभाव) में मध्यस्थ होता हूँ। इस प्रकार मध्यस्थ होता हुआ, परद्रव्यानुसार परिणति के अधीन न होने से शुभ अथवा अशुभरूप अशुद्धोपयोग से मुक्त होकर, मात्र स्वद्रव्यानुसार परिणति को ग्रहण करने से जिसको शुद्धोपयोग सिद्ध हुआ है, ऐसा मैं उपयोगरूप-निजस्वरूप के द्वारा आत्मा में ही सवा निश्चलतया उपयुक्त रहता हूँ। यह मेरा परद्रव्य के संयोग के कारण विनाश का अभ्यास है ॥१५६॥
SR No.090360
Book TitlePravachansara
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorShreyans Jain
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages688
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Religion
File Size19 MB
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