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________________ पत्रयणसारो | तथाहि - सर्वद्रव्याणां साधारणमवगाहहेतुत्वं विशेषगुणत्वादेवान्यद्रव्याणामसम्भवत्सदाकाशं निश्चिनोति । गतिपरिणत समस्त जीवपुद्गलानामेकसमये साधारणं गमनहेतुत्वं विशेषगुणत्वादेवान्यद्रव्याणामसम्भबत्सद्धम्र्म्मद्रव्यं निश्चिनोति । तथैव च स्थितिपरिणतसमस्त जीवपुद्गलानामेकसमये साधारणं स्थितिहेतुत्वं विशेषगुणत्वादेवान्यद्रव्याणामसम्भवदधर्म्मद्रव्यं निश्चिनोति । सर्वद्रव्याणां युगपत्र्यापरिणतिहेतुत्वं विशेषगुणत्वादेवान्यद्रव्यापारवत्कानिन्निति जीवसाधारणं सकलविमलकेवलज्ञानदर्शनद्वयं विशेषगुणत्वादेवान्या चेतन पञ्चद्रव्याणामसम्भवत्सच्छुद्ध बुद्ध कस्वभावं - परमात्मद्रव्यं निश्चिनोति । अयमत्रार्थः यद्यपि पंचद्रव्याणि जीवस्योपकारं कुर्वन्ति तथापि तानि दुःखकारणान्येवेति ज्ञात्वा । यदि वाक्षयानन्तसुखादिकारणं विशुद्धज्ञानदर्शनोपयोगस्वभावं परमात्मद्रव्यं तदेव मनसा ध्येयं वचसा वक्तव्यं कायेन तत्साधकमनुष्ठानं च कर्त्तव्यमिति ।। १३३ - १३४ ।। एवं कस्य द्रव्यस्य के विशेषगुणा भवन्तीति कथनरूपेण तृतीयस्थले गाथात्रयं गतम् । उत्थानिका— आगे आकाश आदि अमूर्तद्रव्यों के गुणों को बताते हैंअन्वय सहित विशेषार्थ--- ( आगास स्वगाहो ) आकाश द्रव्य का विशेष गुण सर्व तथ्यों को जगह देना ऐसा अवगाह हेतुत्व गुण है, ( धम्मद्दव्यस्स गमण हेदुत्तं ) धर्म द्रव्य का विशेष गुण जीव पुद्गलों के गमन में कारण ऐसा गमनहेतुत्व है, (पुणो धम्मेदरदध्वस्त दु गुणी ठाणकारणता ) तथा अधर्मेद्रव्य का विशेष गुण जीव पुद्गलों को स्थिति का कारण स्थानकारणता है, (कालस्स वट्टणा से ) कालद्रव्य का विशेष गुण सभी द्रव्यों में समय समय परिणमन की प्रवृत्ति का कारण वर्तना है और (अप्पणी गुणोबओगोति भणिदो ) आत्मा का विशेष गुण उपयोग है, ऐसा कहा गया है। (हि) निश्चय से ( मुत्तिप्प होणाणं गुणा ) मूर्तिक रहित थ्यों के विशेष गुण इस तरह (संवादो णेया) संक्षेप से जानने योग्य हैं । सर्व द्रयों को साधारण रूप से अवगाह देने का कारणपना आकाश का ही विशेष गुण है क्योंकि अन्य द्रव्यों में यह गुण असंभव है इसलिये इस विशेष गुण से आकाश का निश्चय होता है। एक समय में गमन करते हुए सर्व जीव तथा पुद्गलों को साधारण गमन में हेतुपना धर्मद्रव्य का ही विशेष गुण है क्योंकि अन्य द्रव्यों में यह असंभव है । इसी गुण से धर्मद्रव्य का निश्चय होता है । इसी तरह एक समय में स्थिति करते हुए जीव पुद्गलों को साधारण स्थिति में कारणपना अधर्मद्रव्य का ही विशेष गुण है क्योंकि अन्य द्रथ्यों में यह असम्भव है। इसी गुण से अधर्मद्रव्य का निश्चय होता है । एक समय में सर्व द्रव्यों को पर्यायों के परिणमन में हेतुपना कालद्रव्य का विशेष गुण हैं क्योंकि अन्य द्रव्यों में यह असम्भव है । इसी गुण से कालद्रव्य का निश्चय होता है । सर्व जीवों में साधारण ऐसा सर्व तरह निर्मल ऐसा केवलज्ञान और केवलदर्शन जीवद्रव्य का विशेष गुण है क्योंकि अन्य पाँच अचेतन द्रव्यों में यह असम्भव है, इसी विशेष उपयोग गुण से शुद्ध बुद्ध एक स्वभाव परमात्म- द्रव्य का निश्चय होता है। यहाँ पर यह प्रयोजन है कि [ ३३५ .
SR No.090360
Book TitlePravachansara
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorShreyans Jain
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages688
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Religion
File Size19 MB
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