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. पवयणसारो ]
[ २६३ । साहित्यवतिनी निर्गुणकगुणसमुविता विशेषणं विधायिका वृत्तिस्वरूपा च सत्ता भवतीति
योस्तद्रावस्याभायः। अत एव च सत्ताध्ययोः कथंचिवनर्थान्तरत्वेऽपि सबंर्थकत्वं न शमीयं, तङ्कायो हो कत्वस्य लक्षणम् । यत्तु न तद्भवद्विभाज्यते तत्कथमेकं स्यात् । अपि
गुणगुणिरूपेणानेकमेवेत्यर्थः ॥१०६॥ ..' भूमिका—अब, पृथक्त्व का और अन्यत्व का लक्षण स्पष्ट करते हैं
अम्बयार्थ-[प्रविभक्तदेशत्वं] विभक्तप्रदेशत्व (भिन्न भिन्न प्रदेशपना) [पृथक्त्वं] पृथक्त्व है, [इति हि] ऐसा निश्चित [वीरस्य शासनं] बोर का उपदेश है । [अतद्धावः] दवाव (उस रूप न होना) अन्यत्व है । (क्योंकि) [न तत् भवत्] जो उस रूप न हो बह [कथं एक ] एक कैसे हो सकता है ? कथञ्चित् संज्ञा-संख्या-लक्षण आदि की अपेक्षा सत्ता द्रव्य रूप नहीं है, और द्रव्य सत्तारूप नहीं है। इसलिए वे एक नहीं हैं अर्थात् धोनों में तद्भाव नहीं अताव है। ' टीका-निपत (मिन्त) प्रदेशस्त्र पथकत्व का लक्षण है। वह तो सत्ता और द्रध्य
सम्भव नहीं है, क्योंकि गुण और गुणी में विभक्त प्रदेशत्व का अभाव होता है,-शुक्लत्व और वस्त्र की मांति । वह इस प्रकार है कि जैसे जो हो शुक्लत्य के गुण के प्रदेश हैं वे हो म के गुणो के (प्रवेश भेद नहीं है, इसी प्रकार जो हो सत्ता के गुण के (प्रदेश) हैं ये ही के गुणी के हैं, इसलिये उनमें प्रवेशभेद नहीं है । ऐसा होने पर भी उनमें (सत्ता और में) अन्यत्व है, क्योंकि (उनमें) अन्यत्व के लक्षण का सद्भाव है । अतद्भाव अन्यत्व लग है। वह (अतद्भाव) तो सत्ता और द्रव्य के है ही, क्योंकि गुण और गुणी के साव का अभाव होता है,-शुक्लत्व और वस्त्र की भांति । वह इस प्रकार है कि--जैसे निश्चय से एक चाइन्द्रिय के विषय में आने वाला और अन्य सब इन्द्रियों के समूह को
न होने वाला शुक्लत्व गुण है वह समस्त इन्द्रिय समूह को गोचर होने वाला वस्त्र है और जो समस्त इन्द्रिय-समूह को गोचर होने वाला वस्त्र है वह एक चाइन्द्रिय के
में आने वाला तथा अन्य समस्त इन्द्रियों के समूह को गोचर न होने वाला शुक्लत्व सही है। इसलिये उनके सद्भाव का अभाव है इसी प्रकार, किसी के (द्रव्य के) आश्रय बासी, निर्गुण (जिनके आश्रय अन्य गुण नहीं) एक गुण को बनो हुई, विशेषणरूप
और वृत्तिस्वरूप (अस्तित्त्व रूप) जो सत्ता है वह किसी के आश्रय के बिना रहने गुनवाला, अनेक गुणों से निमित, विशेष्य, विधीयमान (अस्तित्व वाला) स्वरूप
है, तथा जो किसी के आश्रय के बिना रहने वाला, गुणवाला, अनेक गुणों से - विशेष्य, विधीयमान और वृत्तिमानस्वरूप द्रव्य है वह किसी के आश्रित रहने वाली,