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________________ । पवयणतारो सर्व पर्यायों को सर्वथा नियत (क्रमबद्ध) मानने से संयम के अभाव का भी प्रसंग आता है । भोगभूमिया मनुष्यों में क्षायिकसम्यग्दृष्टि भी हैं, वनवृषभनाराच संहनन वाले भी हैं और शुभलेश्या वाले हैं फिर भी वे संयम धारण नहीं कर सकते, क्योंकि उनकी आहार पर्याय नियत है। यदि इसी प्रकार कर्मभूमिया आर्य मनुष्यों के भी आहार पर्याय नियत होती तो वे भी संयम धारण न कर सकते और संयम के अभाव से मोक्ष भी न होती। कर्म-भूमिया मनुष्यों की इच्छा पर निर्भर है कि वे दिन में कई बार भोजन करें, रात को भी भोजन करें, अथवा एक-दो दिन या पक्ष मासोपवास करें। सप्त ध्यसन को सेवन करें या उसका त्याग करें। यह सब कर्म-भूमिया मनुष्यों की इच्छा के अधीन है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि सर्व पर्याय सर्वथा नियत नहीं हैं। इसलिए सर्वज्ञदेव ने नियतिवाद को मिथ्यात्व कहा है। जो पर्याय जैसी है उसको उसी रूप से सर्वज्ञ जानता है । अनादि (जिसके काल को आदि नहीं है) उसको अनादि रूप से, अनन्त (जिसके क्षेत्र, संख्या या काल का अन्त नहीं है) उसको अनन्त रूप से और अनियत (जिसका काल नियत नहीं) उसको अनियत हले जानता है, इसमे सर्तल को कुछ हानि नहीं होती है। अन्यथा जानने में सर्वज्ञ व सम्य ज्ञान की हानि होती है। अथासद्भुतपर्यायाणां कथंचित्सत्भूतत्वं विवधाति जे व हि 'संजादा जे खलु णट्ठा भवीय पज्जाया। ते होंति असम्भूवा पज्जाया णाणपच्चक्खा ॥३८॥ ये नैध हि संजाता ये खलु नष्टा भूत्वा पर्यायाः । ते भवन्ति असद्भूताः पर्याया ज्ञानप्रत्यक्षाः ॥३८॥ ये खलु नाद्यापि संभूतिमनु भवन्ति, ये चात्मलाममनुभूय विलयमुपगतास्ते किलासभूता अपि परिच्छेदं प्रति नियतत्वात् ज्ञानप्रत्यक्षतामनुभवन्तः शिलास्तम्भोत्कीर्ण भूतभाविदेववदप्रकम्पापितस्वरूपाः सद्भूता एव भवन्ति ॥३८॥ भूमिका-अब, अविद्यमान (भूत भविष्यत्) पर्यायों की भी कथंचित् (कोई प्रकार से, कोई अपेक्षा से) विद्यमान को बतलाते हैं अन्वयार्थ-[ये पर्यायाः] जो पर्यायें [हि] वास्तव में |नव संजाताः] उत्पन्न नहीं हुई हैं (भविष्य) तथा [ये पर्यायाः] जो पर्यायें [खलु] वास्तव में [भूत्वा नष्टाः] १. संजाया (ज० वृ०), २. असञ्भूया (जा ) ।
SR No.090360
Book TitlePravachansara
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorShreyans Jain
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages688
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Religion
File Size19 MB
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