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________________ १७४ जेनशासन है, कर्म-पर्वतका विनाश करनेवाला है और सम्पुर्ण विश्व-तत्त्वोंका जाता है, लस मैं प्रणाम करता हूँ। पूजनका यथार्थ ध्येय कोई लौकिक आकांक्षाकी तृप्ति नहीं है । साधक परमात्मपदसे कोई छोटी वस्तुको स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है; अतएव वह स्पष्ट भाषाम-'वन्दे तद्गुणलाधये'-उन गुणोंको प्राप्ति के लिये मैं प्रणाम करता हूँ-कहकर अपनी गुणोपासनाकी दुष्टिको प्रकट करता है। अग्हिन्त, सिद्ध आदिकी बन्दनामें भी यह गुणोपासनाका भाव विद्यमान है। मो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं ।" आदि मंत्र पढ़ते समय जैन दृष्टि स्पष्टतया प्रकट होती है। कारण इसमें किसी व्यक्तिका दल्लेख न कर वोतराग-विज्ञामतासे अलंकृत जो भी आत्मा हो, उन्हें प्रणाम किया है। महाकवि धनम्जपने लिखा है भगवान्, जो आपको स्तुति करते हुए आप अमुकके पिसा अथवा अमुकके पुत्र हो यह कहनर अपकी महत्ताको बताते हैं और आपके कुलको कीर्तिमान् कहते हैं, वास्तवमें वे आपकी महत्ताको नहीं जानते । नाटक समयसारमें कहा है-- "जिन पद नाहि शरीर को, जिन पद चेतन माहि ॥ २८ ॥" कर्मबन्धनमें मुख्यता आत्माकी कषाय परिणतिको रहा करती है। मलिन परिणामोंसे जीव पाप-कर्मका सञ्चय अधिक करता है और विशुद्ध परिणामोंसे वह पुण्य कर्मका अर्जन करता है । किन्हीं लोगोंने बन्धनका कारण अज्ञान बताया और मुक्तिका कारण ज्ञानको माना है किन्तु, यह कथन आपत्तिपूर्ण है। मोहरहित अल्प भी ज्ञान कर्मबन्धका छेदन करने में समर्थ हो जाता है। परमात्मप्रकाशमें योनीन्द्रदेव लिखते हैं "वोरा बेग्गपरा थोवं पि हु सिक्विऊण सिझति । पण हि सिझंति विरग्गेण विणा पढिदेसु वि सव्यसत्थेसु॥" वैराग्यसम्पन्न वीर पुरुष अल्पज्ञानके द्वारा भी सिद्ध पदको प्राप्त करते है और सर्वशास्त्रोंका ज्ञाता वैरायके बिना मुक्ति लाभ नहीं करता । भावपाहुडमें कुन्दकुन्द स्वामीने लिखा है कि शिवभूति नामक अल्पज्ञानी--- जिस प्रकार दाल और छिलके जुदे-जुदे हैं. इसी प्रकार मेरा आत्मा भी कमसि भिन्न है इस प्रकारचे विशुद्ध भावसे-महाप्रभावशाली हो फेवली भगवान् हो गये। स्वामी कहते है "तुसमासं घोसंतो भावविसुद्धो महाणुभावो य । णामेण य सिवभूई केवलणाणी फुडं जाओ ॥५३॥"
SR No.090205
Book TitleJain Shasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages339
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Culture
File Size7 MB
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