________________
द्रव्य संग्रह
ध्यान करने योग्य मन्त्र
पणतोस सोल छपणच जवह ज्झाए । परमेट्ठिवाचयाणं अच्णं च
मनमार्थ
1
(परमेट्ठिवाचयाणं ) परमेष्ठी वाचक ( सोल ) सोलह 1 ( छ ) छह । ( पण ) पांच दो। (च) और । ( एवं ) एक अक्षर के मन्त्र का ( ज्झाएह ) ध्यान करो । ( च ) और ( अष्णं ) अन्य मन्त्रों को । (गुरुवरसेण) गुरु के उपदेश से जपो और ध्यान करो ।
अर्थ-
गुरुबएसे ।। ४९ ॥
परमेष्ठी वाचक पैंतीस, सोलह, छह, पाँच, चार, दो और एक अक्षर के मन्त्र का जप करो, ध्यान करो और अन्य मन्त्रों को गुरु के उपदेश से अपो व ध्यान करो ।
(पणतोस ) पैंतीस |
(च) जार। (दुगं )
( जवह) अप करो ।
प्र०- परमेष्ठी किसे कहते हैं ?
०-जो परम पद में स्थित है ये परमेष्ठी कहलाते हैं।
प्र०- परमेष्ठीवाचक पैंतीस अक्षरों का मन्त्र कौन-सा है ?
० णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं ।
णमो उनमझायाणं, णमो लोए सब्यसाहूणं ॥
इसे णमोकार मन्त्र, अनादिनिधन मन्त्र, मंगलमन्त्र बादि अनेक नामों से कहा जाता है ।
२- नमस्कार मन्त्र
३- मंगल मन्त्र
४- परमेष्ठी वाचक मन्त्र
२०- नमोकार मन्त्र के अनेक नाम कौन से हैं ?
०-१णमोकार मन्त्र
५- अनादिनिधन मन्त्र ६- बोरासी लाख मन्त्रों का राजा
७-तरण-तारण मन्त्र
८ - महामन्त्र
- राति मन्त्र