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द्रव्य संग्रह
भावसंवर के भेद धदसमिदोगतीओ धम्माणुपेहा परीसहजओ य ।
चारित्तं बहुभेया गायब्बा भावसंवरविसेसा ॥३५॥ अन्वयार्थ
( वक्षसमिदोगुत्तीओ ) व्रत, समिति, गुप्ति । ( धम्माणुपेहा ) धर्म, अनुप्रेक्षा। (परीसहजओ) परीषजय । (य) और । ( चारित) चारित्र । ( बहभेया) ये अनेक प्रकार के । (भावसंवरविसेसा ) भावसंवर के भेद । ( णायब्बा ) जानना चाहिए। वर्ष
व्रत, समिति, गुप्ति, धर्म, अनुप्रेक्षा, परोपहजय और चारित्र-ये अनेक प्रकार के भावसंबर के भेद जानना चाहिए ।
प्र०-संक्षेप से भावसंबर के कितने भेद हैं।
उ०-सात भेद हैं-वत, समिति, गुप्ति, धर्म, अनुप्रेक्षा, परीषहजय और चारित्र।
प्र०-विस्तार से भावसंबर के भेद बताइये ।
उ०-विस्तार से भावसंवर के ६२ भेद हैं-५ व्रत, ५ समिति, ३ गुप्ति, १० धर्म, १२ अनुप्रेक्षा, २२ परीषहजय और ५ चारित्र = ५+५ +३+ १० + १२ + २२+५ = ६२
प्र-व्रत किसे कहते हैं ? पाँच ब्रतों के नाम बताओ।
जल-पाच पापों का त्याग करना प्रत है। ५ व्रत-अहिंसावत, सत्यव्रत, अचौर्यवत, ब्रह्मचर्यन्वत और अपरिग्रहवत ।
प्र०-समिति किसे कहते हैं ? पांच समितियां कौन-सी हैं ?
१०-जीवों की रक्षा के लिए यत्नाचारपूर्वक प्रवृत्ति करने को समिति कहते हैं । वे पांच-१. ईर्या समिति, २. भाषा समिति, ३. एषणा समिति, ४. आदाननिक्षेपण समिति और ५. प्रतिष्ठापना समिति हैं।
प्रा-गुप्ति किसे कहते हैं ? उसके तोन भेव बताइये।
चर-संसार भ्रमण के कारणभूत मन, वचन, काय तीनों योगों का निग्रह करना गुप्ति है। उसके तीन भेद-मनोगुप्ति, वचनगुप्ति, कायगुप्ति है।