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द्रव्य संग्रह प्र-कालाणु असंख्यात हैं, इसका प्रमाण क्या है ?
उ०-लोकाकाश के प्रदेश असंख्यात हैं अतः उन पर स्थित कालाणु मी असंख्यात हैं। छः द्रव्यों का उपसंहार और पाँच अस्तिकायों का वर्णन एवं छम्भेयमिदं , जीवाजीवप्पभेवदो वयं ।
उत्तं कालविजुत्तं , पायब्वा पंच अस्थिकाया दु ॥२३॥ बम्बयार्म
( एवं ) इस प्रकार ! ( जीवाजीवप्पभेददो ) जीव-अजीव के मेद से । (इ) यह। (द ) द्वन्य। ( छन्भेय ) छह प्रकार का। (उत्त) कहा गया है । (दु) और । ( काल विजुत्तं ) कालद्रव्य को छोड़कर शेष । (पंच } पचि । ( अस्थिकाय ) अस्तिकाय । ( णायव्या) जानने चाहिए !
संक्षेप से इस प्रकार जीव-अजोय के भेद से दथ्य छह प्रकार का कहा जाता है। कालद्रव्य को छोड़कर शेष पांच द्रव्य अस्सिकाय जानने चाहिए।
द्रव्य ६
१जीव
५ अजीव
पुद्गल
धर्म अधर्म आकाश काल
| | संसारी मुक्त ]
|
। लोकाकाश अलोकाकाश |
निश्चयकाल
व्यवहारकाल
अणु स्कन्ध प्र.-कालद्रव्य को अस्तिकाय क्यों नहीं कहा।
ज-कालद्रव्य के केवल एक ही प्रदेश होता है (कालव्य एकप्रदेषी है ) इसलिए अस्तिकाय नहीं कहा।