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द्रव्य संग्रह प्र-जैसे उपयोगमत्व आदि सभी जीवों में पाया जाता है क्या उसो 'प्रकार सिद्धत्व और ऊर्ध्वगमन भो सभी जीवों में पाया जाता है ?
उ-उपयोगमत्व आदि सभी जीवों का स्वभाव है परन्तु ऊर्ध्वगमन एवं सिद्धस्य जीव का स्वभाव होने पर भी ये व्यक्ति अपेक्षा नहीं शक्ति अपेक्षा है। क्योंकि जिन जीवों ने आठ कर्मों का क्षय कर दिया है दे हो सिद्धत्व अवस्था प्राप्त करते हैं। तथा वे ही अवगमन करते हैं, शेष जोर नहीं।
प्र०-उत्पाद किसे कहते हैं ? उ०-द्रव्य में नवीन पर्याय की उत्पत्ति को उत्पाद कहते हैं । प्र-व्यय किसे कहते हैं ? २०-द्रव्य में पूर्व पर्याय के नाश को व्यय कहते हैं। प्र०-धौव्य किसे कहते हैं ? ३०-द्रव्य की नित्यता को प्रौव्य कहते हैं । प्र.-बदाहरण से समझाइए।
उ-सिद्धजीवों में-संसारी पर्याय का नाश व्यय है। सिख पर्याय को उत्पत्ति उत्पाद है जीव द्रव्य ध्रौव्य है।
पुद्गल में स्वर्ण कुण्डल है। हमें चूड़ो चाहिए-स्वणं कुण्डल का माश व्यय है । चूड़ी पर्याय को उत्पत्ति उत्पाद है एवं स्वर्ण ध्रौव्य है ।
॥ इति जोवाधिकार समाप्त ॥
अजीवाऽधिकारः अजीव द्रव्यों के नाम और उनके मूर्तिक अमूर्तिकपने का
_ वर्णन अजोयो पुण ओ.पागलपम्मो अचम्म मायासं ।
कालो पुग्गलमुसो स्वादिगुणो अमुत्ति सेसा ॥१५॥ मन्वयार्थ
(पुण ) ओर। ( पुग्गल ) पुदगल । ( धम्मो) धर्म । (अधम्म)