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आशीर्वाद
चारित्र - चूड़ामणि परम पूज्य गुरुदेव समाधि मार्ग दिवाकर आचार्य श्री आदिसागरजी महाराज ( अंकलीकर) एवं तत् पट्टशिष्य
तीर्थ भक्त शिरोमणि, घोर उपसर्ग विजेता, समाधि सम्राट,
परम पूज्य आचार्य श्री महावीरकीर्ति महाराज एवं तत् पट्टशिष्य
सिद्धान्त चक्रवर्ती परम तपस्वी सन्मार्ग दिवाकर
परम पूज्य आचार्य श्री सन्मतिसागरजी महाराज
के चरण कमलों में मेरा कोटि-कोटि वंदन,
जिनके मार्गदर्शन में इस ग्रंथराज का अनुवाद किया है। भव्य जीव इसका स्वाध्याय, मनन कर अपना आत्म कल्याण करेंगे। ऐसी मेरी भावना है। इस ग्रन्थ के द्रव्य प्रदाता एवं प्रकाशक को मेरा आशीर्वाद है एवं अन्य सभी कार्यकर्ता को शुभ आशीर्वाद ।
आर्यिका प्रथम मणिनी विजयमति
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