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suraruRAKAnanceTANATAKATATURMANANARASasasasasur ग्रहण उपलक्षण रूप है अत: सर्व ही साधारण वनस्पति कायिक त्याज्य हैं। मूलबीज, अग्रबीज, पोरबीज और किसी प्रकार के भी अनन्तकायिक फल जैसे - अदरक आदि उन्हें नहीं खाना चाहिए। न दैवयोग से खाना चाहिए और न रोग में औषधि के रूप में खाना चाहिए ।। १६ ।। • उदम्बर फलों के नाम
बड़ पीपल अंजीर फल, पाकर फल अधखान। गूलर फल इन पांच की उदम्बर संज्ञा जान ॥१७॥ उदम्बर फल ५ हैं उनका नाम है - बड़, पीपल, अंजीर (ऊमर), पाकर और गूलर (कठूमर) इनमें त्रस जीवों की बहुलता होती है अतः सबको ही उदम्बर फल जानना चाहिए। १७ ।। १६. (अ) पिप्पलोदुम्बरप्लक्ष वट फलगु फलान्यदन् |
हन्त्याणि प्रसान् शुष्काण्यांप स्वं रागयोगात् ।। अर्थ - पीपल, वट, पाकर आदि उदम्बर फलों को यदि कोई सुखाकर खाता है तो उसे भी तीव्रराग का सद्भाव होने से हिंसा का पाप लगता ही है। और भी
श्लोक - ये खादन्ति प्राणि वर्ग विचित्रं दृष्ट्वा पंचोदुम्बराणां फलानां । श्वभ्रावासं यान्ति ते घोरं दुखं कि निस्त्रिंशः प्राप्त ते वा न दुःखं ।।
अर्थ - जो प्राणिघात कर तैयार किये भोजन को करते हैं, पंच उदम्बर फलों का भक्षण करते हैं वे नरक में घोर दुःखों के पात्र बनते हैं, नरक उनका आवास स्थान होता है। फिर जो क्रूरता पूर्वक जीवों को मारते हैं उन्हें तो दुःख का पात्र होना ही है। (ब) अश्वत्थोदुम्बरप्लक्षन्यग्रोधादि फलेष्वपि।।
प्रत्यक्षाः प्राणिनः स्थूलाः सूक्ष्माश्चागमगोचराः॥ अर्थ - बड़, पीपल, ऊमर, कठूमर आदि उदम्बर फलों जो चक्षु इन्द्रिय के गोचर स्थूल जीव हैं उनके अतिरिक्त सूक्ष्म जीव भी वहाँ रहते हैं जो आगम गोचर हैं। उनका परिणाम आगम से जालना, अतीन्द्रिय होने से हम उनको स्वयं नहीं जान सकते ।। १६ ।। Raktanataka UNANURUT LARANAN RAKANIZRAUTATA
धमननद श्रावकाचार१७२