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भद्रबाहु संहिता
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वार-रविवार ४०, सोम ५०, मंगल ५०, बुध ६२, गुरु ६५, शुक्र २८, शनि १४।
तेजी-मन्दी निकालने की विधि-जिस मासकीया जिस दिनकी तेजी-मन्दी निकालनी हो, उस महीनेकी संक्रान्ति विंशोपक ध्रुवा, तिथि, वार और नक्षत्रके विंशोपक ध्रुवाओंको जोड़कर ३ का भाग देनेसे एक शेष रहनेसे मन्दी, दो शेषमें समान और शून्य शेषमें तेजी होती है।
रोजी-मन्दी निकासका अन्य नियम-गेहूँ की अधिकारिणी राशि कुम्भ, सोना की मेष, मोती की मीन, चीनी की कुम्भ, चावल की मेष, ज्वार की वृश्चिक, रूई की मिथुन और चांदी की कर्क है। जिस वस्तु की अधिकारिणी राशि से चन्द्रमा चौथा, आठवौं तथा बारहवाँ हो तो वह वस्तु तेज होती है, अन्य राशि पड़ने से सस्ती होती है।
सूर्य, मंगल, शनि, राहु, केतु, ये क्रूर ग्रह हैं, ये क्रूर ग्रह जिस वस्तुकी अधिकारिणी राशिसे पहले, दूसरे, चौथे, पाँचवें, सातवें, आठवें, नौवें और बारहवें जा रहे हों, वह वस्तु तेज होती है। जितने क्रूर ग्रह उपर्युक्त स्थानोंमें जाते हैं, उतनी ही वस्तु अधिक तेज होती है।
इति श्रीपंचम श्रुत केवली दिगम्बराचार्य भद्रबाहु स्वामी विरचित भद्रबाहु संहिता का वस्तु तेजी मन्दी निकालने रूप पच्चीसवौं अध्याय का हिन्दी भाषानुवाद करने वाली क्षेमोदय टीका समाप्त।
(इति पञ्चविंशतितमोऽध्यायः समाप्त:) .