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भद्रबाहु संहिता
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चित्र संख्या ३८ टिप्पणी-कुछ विद्वान हथेली पर हर्षल नेपच्यून तथा प्लूटो की तो बात ही अलग है, राहु तथा केतु क्षेत्र की विद्यमानता भी नहीं मानते। वे द्वितीय मंगल क्षेत्र से प्रथम मंगल तक के सम्पूर्ण क्षेत्र को मंगल का मैदान अथवा मात्र मंगल क्षेत्र के नाम से ही अभिहित करते है। इस प्रकार उनकी सम्मति में ग्रह क्षेत्रों की कुल संख्या ७ ही है। इस मान्यता से भी फलादेश में कोई विशेष अन्तर नहीं पड़ता।
ग्रह क्षेत्र विचार–सामान्यत: ग्रह क्षेत्र ५ प्रकार के होते हैं१. सामान्य उन्नत। २. अत्यधिक उन्नत। ३. समतल। ४. निम्न।