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हस्त रेखा ज्ञान
क्षेत्रों की स्थिति का समुचित ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है, परन्तु स्याही लग जाने पर छाप स्पष्ट नहीं आती तथा काले धब्बे से पड़ जाते हैं, जिसके कारण ग्रह क्षेत्रों की यथार्थ-स्थिति का ज्ञान नहीं हो पाता।
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चित्र संख्या ३७ शुक्र क्षेत्र का निर्धारण जीवन रेखा द्वारा किया जाता है। (रेखाओं का वर्णन आगे किया जायेगा) जीवन रेखा तथा अंगूठे के बीच का भाग कितना भी कम अथवा अधिक हो, शुक्र क्षेत्र (चित्र ३७) उतना ही बड़ा होता है। जिस प्रकार अंगुलियों के नीचे ग्रह क्षेत्र उभरे हुए अथवा चपटे होते हैं, उसी प्रकार शुक्र क्षेत्र भी उन्नत अथवा निम्न हो सकता है।
चन्द्र क्षेत्र पर भी त्वचा की महीन धारियों तो होती हैं, परन्तु वे इस क्षेत्र के विभाजन का कार्य नहीं करतीं, अत: चन्द्र क्षेत्र, राहु+केतु क्षेत्र एवं मंगल क्षेत्रों का निर्धारण अनुमान तथा उनके उभार के आधार पर ही किया जाता है।