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हस्त रेखा ज्ञान
स्थिति होने पर ही मिलता है, ( 24 ) यदि अंगुलियां टेढ़ी हो, नख छोटे हों तथा जीवन मस्तिष्क एवं हृदय रेखा — तीनों शुभ स्थिति में न हों तो जातक हिंसक प्रकृति का निर्दय, अत्याचारी एवं दूसरों को कष्ट पहुंचाने में सुख का अनुभव करने वाला होता है।
गर
चित्र संख्या - 12
आवश्यक - यदि अंगुलियों के उक्त अन्तर केवल दाँयें हाथ में हो, बाँये हाथ में न हों तो जातक स्वतन्त्र - विचारों वाला एव सत्यनिष्ठ होता है । और यदि दांये हाथ में न होकर केवल बांये हाथ में हों तो स्वयं पर ही भरोसा करने वाला होता है। यदि दोनों हाथों में एक सी स्थिति हो तो पूर्वोक्त पूर्ण प्रभाव होता है।
लम्बाई -- चारों अंगुलियों में मध्यमा अंगुली सबसे लम्बी, तर्जनी तथा अनामिका मध्यमा से कम परन्तु परस्पर समान लंबाई की एवं कनिष्ठा सबसे छोटी होती है। कनिष्ठा अंगुली का अग्रभाग अनामिका के पहले (ऊपरी ) पर्व तक पहुंचना