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भद्रबाहु संहिता
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आवश्यक है। यदि कोई अंगुली इस परिणाम से कम अथवा अधिक लम्बी हो तो उसे उचित परिमाण से कम या अधिक लम्बी समझना चाहिए। किसी अंगुली की न्यूनाधिक लम्बाई के बारे में विचार करते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है । कि उसके अतिरिक्त अन्य सभी अंगुलियां अपने उचित परिमाण में हों। यदि अन्य अंगुलियां भी उचित परिमाण से कम या अधिक लंबी हो तो उनका सम्मिलित फलादेश ही प्रभावकारी होता है। अंगुलियों की लंबाई के साथ ही उनकी पुष्टता तथा ग्रह क्षेत्रों (जिनका वर्णन आगे किया गया है) की स्थिति पर भी विचार करना आवश्यक होता है। क्योंकि यदि अंगुली अधिक लंबी और पुष्ट हो, परन्तु उसका ग्रहक्षेत्र निम्न हो तो शुभ फल में कमी आ जाती है, इसके विपरीत यदि गुरु क्षेत्र उन्नत हो तो शुभ फल की वृद्धि होती है। यदि एक की स्थिति शुभ तथा दूसरे की अशुभ हो तो सामान्य फल होता है । अंगुलियों की लंबाई तथा ग्रह क्षेत्र की स्थिति के विषय में अधिक जानकारी निम्नानुसार प्राप्त कर लें
(1) यदि अंगुली अपनी सामान्य लंबाई की हो तथा उसका ग्रहक्षेत्र उन्नत हो तो शुभ फल में वृद्धि होती है। (2) यदि अंगुली सामान्य लंबाई में हो तथा ग्रह क्षेत्र भी सामान्य हो तो शुभफल होता है। (3) यदि अंगुली सामान्य लंबाई में हो तो तथा ग्रह क्षेत्र निम्न हो तो अशुभ फल होता है (4) यदि अंगुली छोटी हो तथा ग्रह क्षेत्र उन्नत न हो तो सामान्य फल होता तथा ग्रह क्षेत्र निम्न हो तो अशुभफल होता है, ( 5 ) यदि अंगुली छोटी तथा पतली हो तथा उसका गृह क्षेत्र निम्न हो तो अशुभ फल में वृद्धि होती है। परन्तु ग्रहक्षेत्र उन्नत हो तो अशुभ फल में कमी आती है।
विभिन्न अंगुलियों की न्यूनाधिक लंबाई का अलग-अलग प्रभाव निम्नानुसार होता है—
तर्जनी — (1) यदि तर्जनी मध्यमा के बराबर लम्बी हो तो जातक हुकूमत करने का प्रबल आकांक्षी होता है। (2) तर्जनी मध्यमा से भी सामान्य अधिक लंबी हो तो जातक उग्र स्वभाव का तानाशाह होता है। ( 3 ) तर्जनी मध्यमा के अत्यधिक लंबी हो तो जातक अत्यधिक महत्वाकांक्षी होता है । ( 4 ) तर्जनी अनामिका के बराबर हो तो जातक में यश तथा धन की लिप्सा अधिक होती है। (5) तर्जनी अनामिका