________________
हस्त-रेखा शान
से कुछ कम लम्बी हो तो जातक महत्त्वाकांक्षा से रहित तथा अपनी स्थिति से असन्तुष्ट रहने वाला होता है। (6) तर्जनी अनामिका से बहुत छोटी हो तो जातक किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ते समय डरता तथा था चिन्तित होता है।
चन्द्रमा के उभार से आरम्भ
पं बालभट्ट जी का आशय चन्द्रमा के उभार से आरम्भ होने पर भाग्य अधिक घटनापूर्ण परिवर्तनशील तथा दूसरों की कल्पना और मनोविकार पर अधिकतर निर्भर होता है।
यदि ऐसी रेखा हृदय रेखा को जोड़ती हो (1-1 चित्र 12) तो वह एक खुशी तथा सम्पन्न शादी बतलाती है लेकिन उसमें आदर्शवादिता नवीनता तथा कुछ अच्छी स्थितियाँ अपना कार्य खेलती है। और वह जिसका कि अन्त दूसरी जाति के (पुरुष के सम्बन्ध में स्त्री और स्त्री के सम्बन्ध में पुरुष) की कल्पना तथा मनोविकारों से होता है।
यदि भाग्य-रेखा स्वयं तो सीधी हो किन्तु उसमें चन्द्रमा के उभार से कोई दूसरी रेखा आकर मिले (5-5 चित्र 11) तो किसी बाहरी मनुष्य का प्रभाव उस मनुष्य के भाग्य से सहायता करता है और अधिकतर यह पति-पत्नी के एक दूसरे के ऊपर प्रभाव को बतलाता है। यदि यह चन्द्रमा के उभार से प्रभाव की रेखा किसी भाग्य रेखा से नहीं मिलती (2-2 चित्र 12) तो उस मनुष्य की जिन्दगी सदा स्पष्ट होगी और उसका प्रभाव केवल उतने ही काल के लिए होगा जब तक कि वह मनुष्य के भाग्य के साथ जाती है।
जब यह प्रभाव की रेखा भाग्य रेखा को काट जाती है (3-3 चित्र 12) और कुछ दूर बृहस्पति के उभार की ओर को जाती हैं। तो वह मनुष्य जिसका कि प्रभाव वह बतलाती हैं अपनी मानवीय इच्छाओं से उसकी ओर आर्कषित होती हैं और वह मनुष्य उसको अपने लक्ष्य तथा इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए काम में लाता हैं और जब वह किसी कार्य की नहीं करती है। तो उसे नष्ट तथा बर्बाद कर देती है यह प्रायः पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों के हाथों पर अधिक पाई जाती हैं।