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भद्रबाहु संहिता
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सुखी, शान्त, साहसी, परिश्रमी, निर्भय तथा प्रत्येक क्षेत्र में सफलता पाने वाला होता है। (9) नुकीली तथा गठीली अंगुलियों वाला जातक अधिक उत्साही, व्यवहार-कुशल, कभी धोखा न खाने वाला तथा अद्भुत कार्यों को करने वाला होता है। (10) समकोण तथा गठीली अंगुलियों वाला जातक गणितज्ञ, विज्ञान एवं अनुसंधान विषयक कार्यों में रुचि तथा ज्ञान रखने वाला होता है, (11) केवल गठीली अंगुलियों वाला जातक चित्रकार, वाद्य यन्त्र-वादक, गायक अथवा इतिहास, जीवनी आदि के लेखन में कुशल होता है, (10), चाची, पतली तथा गठीली अंगुलियों वाला जातक यान्त्रिक अथवा दिमागी-परिश्रम करने वाला होता है, (13) छोटी अंगुलियों वाला जातक बुद्धिमान, दूरदर्शी, चालाक तथा शीघ्र उत्तेजित हो जाने वाला होता है, (14) गांठ-रहित छोटी अंगुलियों वाला जातक दूसरे के मनोभावों को शीघ्र समझ लेता है। (15) बड़ी हथेली तथा छोटी अंगुलियों वाला जातक प्राय: नास्तिक होता है, (16) चोटी, पुष्ट तथा मोटी अगुंलियों वाला जातक निर्भय स्वभाव का होता है। यदि मस्तक रेखा दुर्बल हो तो वह खूखार एवं हिंसक होता है। यदि मस्तक रेखा लंबी तथा नाखून छोटे हों तो विलक्षण ग्रहण-शक्ति वाला एवं कुशल-प्रशासक होता है, (17) बहुत छोटी अंगुलियों वाला जातक स्वार्थी, आलसी तथा अमोद-प्रमोद में समय का अपव्यय करने वाला होता है, ऐसे लोग क्रूर-प्रकृति के भी हो सकते हैं (18) सीधी तथा पुष्ट अंगुलियों वाले जातक दृढ़-चरित्र तथा परिपक्व मस्तिष्क वाले होते है, (19) टेढ़ी तथा बांकी अंगुलियों वाले व्यक्ति कठोर स्वाभाव के, धन-जन-सुख हीर्ने तथा दुर्बल चरित्र एवं मस्तिष्क वाले होते हैं, (2) प्रकाश में पारदर्शी-सी प्रतीत होने वाली अंगुलियों वाला जातक अविवेकी तथा वाचाल होता है, (21) विरल अंगुलियों वाला जातक स्वेच्छाकारी तथा किसी भी नियन्त्रण को न मानने वाला होता है, (22) ऊंचे उठे तथा फूले हुए से अग्रभागों वाली अंगुलियां जातक के व्यवहार-कुशल, प्रत्येक विषय के जानकार तथा प्रत्येक कार्य को मन लगाकर करने की सूचक होती है, (23) यदि सभी अंगुलियो को आपस में मिलाने पर उनके बीच में छिद्र अथवा प्रकाश दिखाई दे तो जातक किसी का नियंत्रण स्वीकार न करने वाला, बड़ा बुद्धिमान तथा होशियार होता है, परन्तु वह धनी तथा सुखी नहीं रह पाता। यह फल दोनों हाथों में एक सी