SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 98
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सवाने-उमरी. मरतबा-शिखरजीकी-जियारत फिर करे, मामुलीकारोबार तो ऐसेही होतेरहेगे, जोकुछ काम धर्मका करलिया वही वहेत्तरहोगा, [संवत् १९६३ का-चौमासा-शहर पुना, ] संवत् ( १९६३ ) की-चैतसुदी एकमकेरौज शहर धुलियेसें रवानाहोकर जब पाचोराटेशन पहुचे-तो-वहांके श्रावकोने दोरोजकोलिये-ठहरालिये, पाचोरेसे भुसावलहोते जब बुरानपुर पहुचे टेशनपर श्रावकलोग आयेहुवेथे शहरमें लेगये, और पनराह रौजकेलिये वहां कयामकरवाया, वहांसे रवानाहोकर खंडवा-इटारसी होते जबलपुर-गये-तो वहांके श्रावकोने दोरौजकेलिये ठहराये, जबलपुरसे रवानाहोकर इलाहाबाद गये. और इलाहाबादसे परतापगढलाइनमें फैजाबाद होते तीर्थ रत्नपुरीकी जियारतकों गये, वहांकी जियारतकरके वापिस फैजाबाद आये, और फैजाबादसें रैलमें सवारहोकर बनारस पहुचे, टेशनपर श्रावकलोग आयेहुवेथे शहरमें लेगये, वहांपर करीब (२०) रौजके कयामकिया, वैशाख सुदी तीजकेरौज-यशोविजयजी-जैनश्वेतांबर-पाठशालाके विद्याथियोंका इम्तिहानलिया, एकरौज-तीर्थ-सिंहपुरी-और चंद्रावतीकी जियारत किइ, एक रोज सारनाथके पास-जो-पौधस्तूप है देखने गये, असलमें यह बौधलोगोका देहगोप (यानी) पूजाकी जगहहै, बनारससे रवानाहोकर शहर-पटना गये, वहांकी जियारत किइ, वहांसे मुबेविहार-और-मुवेविहारसे-पावापुरी- कुंडलपुर-राजगृही और-गुणशिलबनउद्यान-वगेरा पंचतीर्थीकी जियारतकिइ, वहांसे नवादाटेशन जाकर रैलमे सवार हुवे और मधुपुर होते गिरिडी टेशन उतरे, गिरिडीसे शिखरजीकी जियारतकों गये, और चोथी मरतबा जियारतकिइ, शिखरजीसें रवानाहोकर गिरिडी आये, . . . .. . । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy