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सवाने-उमरी. किइ. महानिशीथसूत्रके पाठसे यहभी साबीतहैकि-जो शख्श जैन मंदिर बनवायगा और मुताबिकशास्त्र फरमानके दानपुन्य करेगा उसकों बारहमें स्वर्गकीगति हासिलहोगी, और वह पाठभी यहां बतलादिया जाताहै, अकलमंद गौर करलेवे कुल्लहाल मुफस्सिल मालूम होगा,
(महानिशीथमत्रका मूलपाट,) काउंपि जिणायणेहि-मंडिया सव्वमेयणिवर्ट, दाणा चउक्कयेण-सढोगछेज्जचुयं जाव, ॥ १॥
देखलो ! इसपाटमें जैनमंदिर बनवानेवालेकों बारहमें स्वर्गकी गति होना साफ बयानहै. अगर कोई कहेकि-हम-महानिशीथमूत्रकों नही मानते-तो-जवाबमें मालूमकरे नंदीसूत्रमें महानिशीथमू
का माननालिखाहै-या-नही ? अगर कहोगे लिखाहै-तो-महानिशीयसूत्रकोभी मानो और मंदिरमूर्तिभी कुबुलकरो, असुरकुमार देवता जब उपरकेस्वर्गकों जाताहै-वगेर-अरिहंत-अरिहंतकीमूर्तिसाधुमहाराजके सरनेके नहीजासकता, वहबात इसआगे बतलायेहुवे पाठसे साबीवहै. व-गौर देखे,
(भगवतीसूत्रका पाठ, ... नन्नथ्य-अरिहंतेवा-अरिहंतचेझ्याणिवा-भाविअप्प. णो अणगारस्सवा-णिस्साए-उढं-उप्पयंति जावसोहम्मो कप्पो,
इस पाठका मतलब उपर आचुकाहै, अगर अरिहंतकी मूर्ति जैनमजहबमें मानना मंजुर-न-होतीतो एसा पाठ क्यों होता ? दशवकालिकमूत्रके मूलपाठमें लिखा हैकि-अगर कोइ तस्बीर और
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