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________________ सवाने-उमरी. २-दुसराकानुन व्याख्यानसभामे कोइ सामायिक-न-करे, ३-तीसराकानुन व्याख्यानमुनते वख्त कोई माला-न-फेरे, ४-चोथाकानुन व्याख्यानसभामें शौरगुलकरे एसे छोटेलडकेको-न-लावे, ५-पांचवाकानुन चलतेव्याख्यानमें कोइ उठे नही. खतमहोवे जब उठे, ६-छठाकानुन-व्याख्यानसुननेवालेको कोइ बुलानेआवे तो मुंहसें जवाब-न-देवे, इशारेसे समझावे, ७-सातमाकानुन शोगसंतापवालोकों परभावना लेनेमे कोई दर्ज नही. ८-आठवाकानुन धर्मशास्त्रसुनने आनेमें शोगरखनानही, ९-नवमाकानुन व्याख्यानसभामें जहां जगहदेखे वहां बेठजाय, चाहे गरीबहो-या-अमीर, पेस्तरआवे वह आगेबेठे, पीछेआनकर आगे आनेका इरादा-न-करे, १०-दसमाकानुन चलते व्याख्यानमे फक्त सीरझुकाकर 4दनकरे, व्याख्यान खतम होनेपर-या-पेस्तर तीनक्षमाश्रमण देनेमें कोइहर्ज नही. ११-ग्याहरमाकानुन चलते व्याख्यानमें कोइ-प्रत्याख्यानन-मांगे, १२-बारहमा कानुन शोगसंतापवाले अगर परभावना बांटनाचाहे-तो-ब-जरीये दुसरेके चीजमंगवाकर बांटदेवे, १३-तेरहमाकानुन व्याख्यानमें जिसकिसीकों-जो-कुछपुछ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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