SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ४० ) सवाने -उमरी. करना, और स्थंडिलभूमि जाना, (५) बजेसे (६) बजेतक आहारपानी लेना, सूर्य अस्त होनेकेबाद ( ८ ) बजेतक प्रतिक्रमण वगेरा करना, (८) बजेसे (१०) बजेतक ज्ञानचर्चा - और योगाभ्यास चितवन, (१०) बजेसे शुभहके ( ५ ) बजेतक शयन करना, ( ५ ) बजेसें ( ६ ) बजेतक सूरिमंत्रका जाप - और -प्रतिक्रमण करना, इसतरह हमेशांकेलिये अपना टाइमटेबल कायमकिया, - फरुकनगरसे रवाना होकर - होडल- पल्वल-मथरावृंदावन - होते हुवे - शहर आगरा गये, और (८) रौज वहां पर कयाम किया, वहांसे रवानाहोकर धोलपुर होते लशकर - गवालियर पहुचे, और - संवत् (१९४८) की वारीश वहांपर गुजारी, दर्मियान सराफाबजार जैन मंदिर के पास पंचायती उपाश्रयमें कयामकिया, व्याख्यानसभामें सूत्र आवश्यकवृत्ति - और - वासुपूज्यचरित बाचतेथे, व्याकरण चंद्रप्रभाइसचौमासेमें आधा - हिब्ज-यादकिया और स्याद्वादरत्नाकरावतारिका पुरी बांची, एकरौजकेलिये छावनी- मुरार - जोकि - तीनकोशकेफासलेपरवाकेहै गये, और वहांपर मूर्त्तिपूजापर व्याख्यानदिया. जहांजहां पर महाराजजाते हैं - और व्याख्यान देते है वहां धर्मशास्त्र के (१३) कानुन एकसाइनबोर्डपर लिखकर या छपवाकर मकानकी दिवारपर इसलिये लगा दियेजातेहैकि - मुननेवाले उनकों - बाचकर अमल करे, उसकी नकल यहांपरभी देते है, इसमें व्याख्यानसुननेका सबमतलबदर्ज है, बखूबी देखलो, 1 ( व्याख्यान धर्मशास्त्रके (१३) कानुन, ) १ - अवलकानुन व्याख्यानसुनते वख्त कोइ शौरगुल-न-करे, चुपचापहो करमुने, व्याख्यानका टाइम साढेआउसे साढेनवतक सवेरका है, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy