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________________ ( 30 ) सवाने - उमरी. मानी है, बौधमजहबमें तमामवस्तु क्षणिकमानी है, गौतमबुधकेखेलों में- मोदगलायन - शौरीपुत्र - और - आनंद-ये-बडे चेलेथे, विनपीठिकासूत्र - महावग्गसूत्र - कुलवग्गसूत्र-- परिवारपाठसूत्र - दिग्निकायसूत्र - परिनिवाणसूत्र - मध्यमनिकायसूत्र - विमानवथ्थुसूत्र - पेयवथ्थुसूत्र - थिरगाथा - निदीश पीठिका - पाटीसंविदा--कथावथ्थु - वगेरा बौधमजबके पुस्तकों के नाम है, - जैन के अखीरके तीर्थंकर महावीरस्वामी जब हयातथे गौतमबुधभी उसवख्त मौजूदथे, गौतमनामसे चारशख्श दुनियामेंमशहूर हुवे, तीर्थंकर महावीरस्वामीके बडे चेले गौतमगणधर जैनथे, गौतमबुध - बौधमजहबके - नामी - शख्श थे, गौतमरिषि - वैदिकमजहबके रिषिथे, नैयायिक मजहबके गौतमरिषि अलग हुवे, बौधमजहब के शास्त्रोसें मालूम होता है कि - गौतमबुध के वख्तमें - यागी - वैरागी - यति मौनी - निर्ग्रथ वगेरा बहुतसे मतके साधु मौजूद थे, बौद्धमजहबके साधुभी - चौमासेमें सफर नहीकरते, अंतरवसन - मध्यवसन - उत्तरीय - कटिबंध - भिक्षापात्र - जलछाननेकापात्र - ये - बौधमजहबके साधुओके उपकरण कहे जाते है, - राजा कनिष्क केवख्तसें बौधमजहबमें दो - शाखा हुई. - इसवख्त हिंदमें बौघमजहबकेलोग थोडे है, मगर मुल्क चीन - जापान वर्मा - और - टिब्बट तर्फ बहुत है, - [ संवत् १९४५ का - चौमासा - शहर - अहमदाबाद. ] बादवारीशके राधनपुर से रवानाहोकर तीर्थ शंखेश्वरकी जियातकों गये, जोकरीब (१८) कोसके फासलेपरवाके है, उसकी जियारत कर, और उसकीतवारिख अपनी नोटबुकमें दर्जकर लिड, तीर्थ शंखेश्वरसे रवाना होकर कस्बे मांडलको आये और वहांपर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat 4 www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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