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दिवाचा.
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काश्मिरके सोदागिर जावदशाहशेठने तीर्थशत्रुजयपर बडेआलिशान जैन मंदिर तामीर करवाये, जावडशाहशेठ बडे खुशनसीब और इकबालमंद हुवे,___ महाराज कनिष्क इस्वीसनके पहले सेकडेमें हुवा, यहबात इतिहासिक किताबोंसें साबीतहै, महाराज हुविष्क-महाराज वासुष्क ये दोनों-महाराज कनिष्कके बादहुवे, कइजैनशिलालेख इनकेजमानेके हिंदमें मिलते है, मगर-ये-खुद जैन नहीथे,-सर एलेकझंडर कनिंगहेमके आरकीओलोजिकल सर्वेरिपोर्ट में कइ जैनलेख छपेहुवेहै एपिग्राफिया इंडिका अखबारमें प्रोफेसर ज्योर्जबुलरके छपवाये हुवे कद जैनलेख मौजुदहै,-इंडियन आंटीकवेरी अखबारमेंभी-कइ जैनलेख छपेहुवेहै,-तीर्थपावापुरी जो-पूरवमें एकमशहुर जैनतीर्थहै, वहांपर बीचतालावके तीर्थकर महावीरस्वामीका मंदिर पुरानाहै,गांवमें जो बीच धर्मशालाके तीर्थकर महावीरस्वामीका मंदिरहै, तीर्थ कर महावीरस्वामीकी मूर्ति संवत् (४४४) की प्रतिष्टित उसमें जाये। नशीनहै, संवत् ( ८०२) के अर्सेमें जैनाचार्य बप्पभटमूरिकी धर्मतालिमसें गोपाचलके आमपाल राजाने गोपाचल दुर्गमें एकबडाजैन मंदिर बनवायाथा, यहवात चतुर्विंशति प्रबंधमें लिखी है,- .
किताव प्राचीनशिलालेखमाला-जो-निर्णयसागर-प्रेस-बंबइमें छपीहे कितनेक जैनलेख उस्मेभी दर्ज है गवरमेंट सेंटलप्रेस बंबइमें जो-आर्कीओलोजिकल सर्वेरिपोर्ट सन ( १९०४ ) से लेकर ( १९०९ ) तकके छपेहै, उनमेभी कितनेक जैनलेखोंका मतलब छपाहै, जिनकों तबारिखपढनेका शौखहै देखनेसे बखूबी मालूमहोगा, ___ भावनगर प्राचीन शोधसंग्रह भाग पहला-जोकि-भावनगर दरबारी प्रेसमें छपाहै, उसके पृष्ट (९३) पर नाडलाइके जैनमंदिरका लेख संवत् (९६४) के अर्सेका छपाहै, विमलशाहशेठ-जो
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