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नसीहत-उल-आम. (३६१ ) गहपर जावे, मशानमें जहांकि-मुर्दै जलायेजातेहो वहांपर-न-जावे, गुप्तमोरियां जोकि-हमेशां गंदीरहाकरतीहै उसमे पेशाब-न-करे, मुताबिक धर्मशास्त्रके देखाजायतो गुप्तमोरीमें पेशाबकरना सबब पापकाहै, क्योंकि-उसमें अकसर जीवोंकी पैदाश हुवाकरती है, सांप-या-चूहोके बिलमें पेशावकरना बिल्कुल नामुनासिवहै, एक वख्तका जिक्रहै किसीशख्शने सांपके बिलमें पेशाब करना शुरुकिया, उसकीधार जब विलकेभीतर गइ फोरन ! उसमेंसे एक सांप निकलआया, इधर पेशाबकरनेवाला मारेखोफके ऐसा भागनिकला कि-जससे उसके कपडे सब नापाक होगये, कहो ! इससे क्या ! फायदा हुवा ? इसीसे अछे लोगोंने कहाहैकि-ऐसी बातोंसे परहेज करो,
३-हरेक आदमीकों चाहियेकि-विना-दातूनकिये कोइचीज अपने मुहमें-न-डाले, जो शख्श दातुन नहीकरते उनके मुहसे बद बू आती है, जिसके मुहमें छालेपडगयेहो-या-जलनहोतीहो उसरौज दातुन-न-कियाजाय कोइहर्जकी बातनहीं, जिसका गला बेठगयाहो-या-होठ फटगयेहो-वह घीके कुरलेकरे, या दुधका इस्तिमाल रखे, जरुरफायदा होगा, जिसको तैरना-न-आताहो गहरेजलमेंन-कुदे, नहाते वख्त-ख्वाह मदहो-या-औरत हर्गिज ! नंगे-ननहावे, एकदुपट्टा-या-साडी-बदनपर जरुररखे, वाद स्नानके देवपूजनमे मशगुलरहे, दुनियादारोकेलिये देवपूजन करना निहायत फायदेमंदहै, जबकोइ देवमंदिरमें जावे हथियार शाथ-न-लेजावे, जूते-लकडी वगेरा चीजभी बहार छोडकर अदबकेशाथ जावे. जब देवमूर्तिके सामने पहुचे तीनमरतवे सीरझुकाकर ताजिमकरे, और तीनवख्त अतराफ परकम्मादेवे, पूजाकरनेका हुकम जैसे मर्दकोहै वैसे औरतकोंभी है, पूजाकरतेवख्न लिवास और जिस्मको पाकरखे
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