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तवारिख-तुतीकोरिन-और-लंका. ( ३३५ )
o [तुतीकोरिन,] मदुरा टेशनसे (८१) मील दखन मनीयाची जंकशन-औरमनीयाचासे (१८) मील दखनपूरवकी रुखपर-तुतीकोरीन नामका रैलवे टेशनहै, द्रविडिनलोग इसको-तुतुगुडी-कहते है, और अंग्रेजी जवानमें तुतीकोरिनके नामसे मशहूरहै, सन ( १८९१ ) की मर्दुमशुमारीके वख्त तुतीकोरीनकी मर्दुमशुमारी ( २५१०७ ) मनुष्योंकी थी, पेस्तर तुतीकोरीन वडाशहरथा, बाजार यहांका खुशनुमाऔर-हरेककिसमकी चीजे यहांपर मिलसकती है, जैनश्वेतांबर श्रावकोकी आवादी यहां नहीं,-न-कोइ-जैनश्वेतांवर मंदिरहै यहांपर समुंदरमेंसे-मोतीकीसीपें-और शंख निकालेजाते है. और समुंदर कनारे बडेबडेजहाज-और ष्टीमरे आतीजाती है, अगर यहांसे कोइशख्स लंकाटापुके कोलंबो शहरकों जानाचाहे-तो-टीमरमें सवार होकर समुंदरके रास्ते जासकते है, किराया थर्डक्लास पासेंजरके लिये तीनरुपये-छपाइ लगताहै,
[ तारिख-लंका, - लंका टापुकों पेस्तरके शास्त्रोमें सिंहलद्वीप लिखाहै, जैन रामायनमें लंकाकी तबारिख इसतरह बयान किइहैकि-तीर्थकर अजितनाथ महाराजके जमानेमें एक- घनवाहन नामका विद्याधर राजा लंकाके तख्तपर अमलदारी करताथा, जोकि-निहायत दिलेर और जमामर्दथा, उसकी सलतनत और अदल इन्साफ लाइके तारीफथा, जब उसका इंतकालहुवा लंकाके तख्तपर उसका बेटा तख्तनशीन हुवा, और अमलदारी करनेलगा, इसतरह कइराजे एकपीछे एक लंकाके तख्तपर होतेरहे, बयान उसका बहुतहै यहां कहांतक लिखे जव तीर्थकर मुनिसुव्रतस्वामीका जमाना दरपेश हुवा लंकाके
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