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________________ -~ तवारिख-तीर्थ-कुल्पाकजी. (३२७ ) वगेरा चीजें बहुतायतसे पैदा होती है, आम-अमरुद-खरबुजा-ककडी-शरीफे वगेरा किसम किसमकी फलफलारी यहां कसरतसे हुवा करती है, जैनश्वेतांवर श्रावकोंकी आबादी-चारकबान-इशबचोक-पथरघटी-बेंगमबजार-रमूलगंज-और-रेसीडेन्सीमें फैली हुइ है, जैनश्वेतांवर मंदिर बेगमबजार-कारवान-चारकबान-औररेसीडेन्सीमेवडी लागतके बने हुवे है, यात्री शहरमें जाय और मंदिरोकी जियारत करे, मुतस्सिल शहर हैदराबाद के सिकंदराबाद एक गुलजार वस्ती और अंगरेजी फौजी छावनी है, बाजार उमदा और हरेक तरहकी चीजे यहां मिलसकती है, जैनश्वेतांबर श्रावकोकी आबादी और एकमंदिर यहांपर बना हुवा मौजूद है, यात्री यहांके मंदिरकेभी दर्शन करे, सिकंदराबादसें (३) मील और-हैदरावादसे (११) मील उत्तरकी तर्फ बलारम एक अछा कस्बा है और यहांपर जैनश्वेतांबर श्रावकोकी आबादी और मंदिरभी बना हुवा है, हैदराबादसे रैलमें सवार होकर-सिकंदराबाद-मौलाअलीघटकेशर-बीडीनगर-भोंगर--रायगिर-और-बंगापाली होते आलेर टेशन उतरना, रैलकिराया मेलट्रेन दसआने लगेगे, [उ तवारिख-तीर्थ-कुल्पाकजी,-] मुल्के-तैलंगमें आलेर टेशनसे दोकोसके फासलेपर कुल्पाकजी एकपुराना जैनतीर्थ है, पेस्तर कुल्पाकशहर बहुत आबादथा, जमाने हाल में कम होगया, और शहरके नामसे तीर्थका नामभी कुल्पाक मशहुर हुवा, पेस्तर यहां बहुतसे बागबगीचे और गुलजारवन खंडथे, और-शहरभी-बडीरवनकपरथा, आम,अमरुद-नारंगीकेले-खिरनी-नारियल-सुपारी-लोंग-और--नागरवेलके पान यहां ४२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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