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________________ ( ३१६ ) तवारिख - तीर्थ - मांडवगड- और -इंदोर, वाहा- मुख्तियारा - चोरल - काला कुंड- और - पातालपानी टेशन होते हुवे छावनी टेशनपर उतरना, रैलकिराया तेरांआने लगेगे. [ तवारिख तीर्थ-मांडवगढ, ] छावनीमहु - एक गुलजार वस्ती है, सन (१८९१ ) की मर्दुमशुमारीके व छावनी की ममशुमारी (३१७७३) मनुष्योकीथी. बाजार रौनकदार और हर किसम की चीजे यहांपर मिलसकती है. धर्मशाला यहांपर एक बनी हुई है, यात्री इसमें कयाम करे, और तीर्थ nisar जाने तयारी करे, सवारीके लिये इका-वगी-तयार मिलेगी, शुभहके गये हुवे शासकों मांडवगढ पहुच सकोगे, सड़क पकी बनी हुई है, रास्तेमें पहाड-नदी-नाले और तरह तरहके द्रख्त नजर आयेंगे, जब करीव तीन कोसके फासले पर मांडवगढ रहजायगा एक नालछा - नामक गाव राहमें मिलेगा, इसमें आठ दश घर जैन श्वेतांवर श्रावकों के आवाद है, - छावनी उसे करीब (३०) मील दखन पश्चिमकी रुखपर मांडवगढ एक पुराना शहर है, पेस्तर बडाथा आजकल छोटासा कस्वा रह गया, पुराने खंढहेर और मकानात देखकर दिलकों ताज्जुब होता है कि- खुशनसीबोने क्या क्या उमदा मकान तामीर क वायेथे और अब किसकदर विरानपडे हवे है, हिंडोला महल - चंपाबावडी - वगेराजगह काबिल देखनेके है, अतराफ मांडवगढके तरह तरहकी जडीबुटी खडी है मगर उसके पहिचानने वाले कम निकलेगें, एक - जैन श्वेतांबर मंदिर और एक धर्मशाला यहांपर मो. जूद है, यात्री इसमे ठहरे और तीर्थ मांडवगढकी जियारत करे, खानपानकी जरुरी चीजे यहांपर मिलसकेगी. तीर्थ मांडवगढकी जियारत करके यात्री छावनीमउकों-वापिस आवे ओर रेलमें सवार होकर - रोहटेशन होते शहर इंदोर जाय, मउसे इंदोरतक रैलकिरा - या सवादोआने लगेगे, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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