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________________ तवारिख-तीर्थ-उज्जेन. ( ३१७ ) F[ बयान-शहर-इंदोर, मुल्क मालवेमें इंदोर एक उमदा शहर है, सन (१८९१) की मर्दुमशुमारीके वख्त इंदोरकी मर्दुमशुमारी (९२३२९) मनुष्योकीथी जैनश्वेतांबर श्रावकोंकी आवादी और मंदिर यहांपर बने हुवे है, बाजार रौनकदार और तरह तरहकी चीजे सोनाचांदी जवाहिरात -शालदुशाले और मेवा मीठाइ वगेरा यहाँपर मिलसकती है, पानीका नल हरजगह लगा हुवा और सडकोंपर लालटेनोकी रोशनी हुवा करती है, राजमहेल उमदा बने हुवे-और-लालबाग यहांका काबिल देखनेके है. जिले इंदोरकी जमीनमें अनाज-पोस्तरुइ-ऊख-और-तमाखू-ज्यादह पैदा हुवा करती है. यात्री शहरमें जाना चाहे शौखसे जाय और जैनमंदिरोकी जियारत करे, इंदोरसे रैलमे सवार होकर-पालिया-अजनोड-और-फतेहाबाद होते शहर.उज्जेन जाय, रैलकिराया साढे छ आने लगेगे. हास [ तवारिख-तीर्थ-उज्जेन. मुल्क मालवेमें फतेहाबाद जंकशनसे (१४) मील-उत्तरकीरुखपर क्षिप्रानदीके दाहनेकनारे उज्जेन एकपुराना शहर है, श्रीपालराजा-इसी-उज्जनके राजा प्रजापालकीलडकी-मयणा मुंदरीसे विवाहेथे, और वदौलत नवपदजीके उनकी कोढवीमारी यहां रफा हुइथी, राजा मानतुंग इसी उज्जनके तख्तपर हुवे-जो-बडे खुशनसीब और धर्मपावंदथे, तीर्थकर महावीरस्वामीके जमानेमें राजा चंडप्रद्योत इसी उज्जनके तख्तपर अमलदारी करताथा, सूत्र आवश्यककी टीकामें बयान हैकि-जब-चंदप्रयोतकी-और-मुल्क पांचालके वीतभयपतननगरका राजा-उदयनकी-एक मूर्ति और दासीके लिये नाइत्तिफाकी हुइथी उन दोनोका जंग इसी उज्जेनके Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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