________________
( ३०६ ) बयान-शहर-बिलासपुर. आनकर उनके पांवकों डसा, मगर उनके बदनमें जहर नही चढा, बल्कि ! उनाने सांपकों हिदायतकिइकि-हें ! चंडकोसिया सांप ! जब-तुं-पीछले जन्म साधुकी हालतमे था तेने बहुत क्रोध कियाथा अब-तु-सांप बना है, अब तेरी गुस्सेकी हालत दरगुजर कर और धर्मपर निगाह बांध, इसबातकों सुनकर चंडकोसिये सांपने अपना होश संभाला, और उसको जातिस्मर्गज्ञान हासिल हुवा, यह-माजराभी-मुल्कपूरवमें गुजराथा, मारवाडमें नही, कनखलनामका कस्वा इसवख्त हरिद्वारसे (३) मील के फासलेपर गंगाके दाहनेकनारे आबाद है, आजकल वहां इसबातका-कोइ निशान बाकी नही रहा.
पूरवके तीर्थोका वयान खतमहुवा-इसमुल्कमें पानीकी बहुतायत रहनेकी वजहसे-अनाजकी फसले अछी होती है, खानपान बोलचाल और पुशाक उमदा-तीर्थकरोकी निर्वाणभूमिहोनेसे पेस्तर यहां जैनधर्मकी बडी तरकीथी, वडेबडे जैनश्वेतांबर मंदिर-मूर्ते
और-जैनमजहबकी किताबे यहांपर मौजुदथी, चक्रवर्तीराजे जिनके पास बेशुमार दौलत-और-जवाहिरातथा यहांहुवे, धन्ना-शालिभद्र
और जंबुस्वामी जैसे धर्मपाबंद शख्श इसी मुल्कके बाशिंदेथे; आनंद-कामदेव-वगेरा व्रतधारी श्रावक इसी मुल्कमें पैदाहुवे. तीर्थकरोंकी निरवाण भूमिहोनेसे जैन तीर्थभी इस मुल्कमें ज्यादह है,
[बयाम-शहर-बिलासपुर,] आसनसोलसे रैलमें सवार होकर-दामोदर-मुरुलिया-मुराडी -रामकनली-खजुरा-चीनपीना-आडरा-अनारा--कुस्टार-पुरुलिया-कंटाडीह-बारभोम-नीमडीह-चांडिल-कांडरा-*सीनीजंकशनअमदा-बाराबंवो-चक्रधरपुर, रैलकिराया आसन सोलसे चक्रधर
* यहाँसे एक रैलवेलाइन खडगपुर होकर कलकत्तेकों गई है,
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com