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( २९४ ) तवारिख-तीर्थ-बर्द्धमान. है, बाजार गुलजार और जिसचीजकी दरकारहो यहां मिलसकती है, पूरव दखनकी तर्फ फौजीछावनीमे अंग्रेजीफौज रहाकरती है, जिले हजारीबागमें करीव ( ७० ) मील पूर्वोत्तर गिरिडी टेशनहै, तीर्थ समेतशिखरकी जियारतकरके-यात्री-मधुवनसे रवाना होवे
और-इसरीटेशनसे-कलकत्ता जानेकेलिये रैलमे सवार होवे, और नीमियाघाट-गोमाह-मतारी-तेतुलमरी-धानवैद्य-प्रधानता--छोदावोना-कलुवथान-मुगमा-बराकर-कुलती-सीतारामपुर-बोराचक-आसनसोल-रानीगंज-पानागर-और-खानाजंकशन होतेहुवे वर्द्धमान देशनजाना, रैलकिराया एकरुपया लगताहै,
- [तवारिख-तीर्थ-वर्द्धमान, कलकत्तेसें (६७) मील पश्चिमोत्तर और खानाजंकशनसे (८) मील दखनकों जिलेका सदरमुकाम वर्द्धमान एक-अछाशहरहै, सन (१८९१ ) की मर्दुमशुमारीके वख्त वर्द्धमानकी मर्दुमशुमारी (३४४७७ ) मनुप्योकी थी, बाजार रवन्नकलिये और तरहतरहकी चीजे यहां मिलती है, शहरमें जगहजगह-पानीका नल लगाहुवा-कइ तालाव-बागबगीचे-जिनमें तरहतरहकी वनास्पति
और फल-फुलोके पेंड लगेहुवे है, राजमहेल-और-गुलालबाग काबिलदेखनेकीजगहहै, चीडियाखानेमे-बहुतेरेजानबर-शेर-हिरन-वंदर वगेरा मौजूदहै, सडके लंबीचोडी-और-मकान इंटचुनोंके खूबसुरत वनेहुवे है, आजकल जैन श्वेतांवर श्रावकोका-घर-यहांकोइ नही.-न-जैनश्वेतांवर मंदिर है, कल्पमूत्रमें-जहांकितीर्थंकर महावीर स्वामीकी अंतर्वाचनाका बयान दर्ज हे, वहांलिखाहै तीर्थकर महावीरस्वामी-मोराकसंनिवेशसे यहां तशरी फलाये, और जब कायोत्सर्गकरके ध्यानसमाधिमें मशगुलहुवे शुलपाणि यक्षने उनको परिसहदेना शुरुकिया, हवाचलाइ-गर्जा
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