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________________ तवारिख-तीर्थ-वर्द्धमान. ( २९५ ) रवकिया और पिशाचकी शिकल दिखाकर डरानेलगा, और तरहतहकी तकलीफदिइ, लेकिन ! तीर्थकर महावीर अपने ध्यानमें साबीतकदमरहे, शुलपाणियक्षने समझलियाकि--ये-अपने ध्यानसे गिरनेवालेनही, कोइबडे महर्षि दिखलाइदेताहै, इनकी कदमबोसी करना चाहिये, और कियेहुवे गुन्होंकी माफी मांगनाचाहिये. अखीरमें माफी मांगी, धर्मपर एतकातलाया, और तीर्थकर महावीरस्वामीके बदनपर फुलोंकी वारीशकिइ, पेस्तर यहां जैनोकी आबादी और तीर्थथा, आजकल सिर्फ ! क्षेत्रस्पर्शना है, यात्री इस तीर्थकी कदमबोसी करके जियारत कामयाबहुइ समझे, वर्द्धमानसे रैलमें सवारहोकर-वंडेल-चीनमुरा-चंद्रनगर-सेरामपुर-और लील आटेशनहोते हवराटेशन उतरे. रैलकिराया नव आने, 3 (तवारिख-शहर-कलकत्ता,) इलाहाबादसे (६८४ ) मीलके फासलेपर गंगाकनारे मुल्क बंगालका नामीशहर कलकत्ता-जो-आजकल हिंदुस्थानकी राजधानी कहाजाताहै, बडामशहूर-और-मारुफ शहरहै, कलकत्ता बंबइके बीचका फासला (१२७८ ) मीलका-और-रैलकी सडक बनी हुइहै, कलकत्तेकी जगहपर पेस्तर-कालीघाट-और सुतापटी-दो-तीन-छोटेछोटेगांव आबादथे. गंगाकनारे कालीदेवीका घाट अलबते ! पुरानाहै, जब अंग्रेजोकी आबादी बढनेलगी दिन-ब दिन शहरकलकत्ता तरकीपर होतागया, ज्युंज्युं आबादी बढतीगइ शहरकी तरक्की होतीगइ, बडेबडे मकानात बनतेगये, और तिजारतभी हरेककिसमकी होनेलगी, कल-कारखाने बनतेगये, गरजकि-आजकल इतनातरकीपरहैकि-मुकाबिले इसके शिवाय बंबइके दिगर शहर नही, कभी छोटाशहर वडा-और-बडाशहर छोटा होजाता है, दुनियाका यही कारोबार हमेशांसे चला आताहै, जिसचीजकों Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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