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________________ तवारिख - तीर्थ- समेतशिखर. ( २९३ ) खर्चकरसकेगें, ? पायबंदधर्मकेही अपनीदौलतकों बतौरराहधर्मपर सर्फकरसकते है,— तीर्थ - समेतशिखर पहाडपर - जैन श्वेतांबर मंदिर - टोंक - औरधर्मशाला - सब - जैन श्वेतांबरोंकी तर्फसेवनेहुवे है, पहाडकेनीचे मधुवनमें जो जैन श्वेतांबरकोठी है- उसीकेखजानेसें सबका इंतजाम किया जाता है, सीढीयों के मुकदमें के फेसलेमें बयान दर्ज है कि . - The Jains of the Sitam beri sect are in charge and possession of the temples tonks and images and idols therein. ( माइना . ) – शिखरजी पहाडपरके मंदिर - टोंक - उनमेंकी मूर्त्तियें और पुतलें सब - श्वेतांबरमजहबके जैनोके ताबे में है, [दरबयान- जिला - हजारीबाग, ] समुंदर के पानी से करीब ( २०० ) फुट ऊंचा जिलेका सदरमुकाम हजारीबाग एक वडा कस्बा है, सन ( १८९१ ) की मर्द - शुमारीके वख्त कस्बे हजारीबागकी मर्दुमशुमारी ( १६६७२ ) मनुष्योंकी -थी, आवहवा निहायतपाक और तंदुरस्ती बढानेवाली जिलेकी वडीनदी दामोदर दुरतक वहती चलीगइ है, जिले हजारीबाग के - पूरवकों परगना संथाल - और - वीरभूमि - दखनपfront लोहारडागा - और - गयाजिला, उत्तरकों गया - और - मुंगेरके जिले है, जिलेमें बहुतसी पहाडीयें और अवरखकी खाने मौजूद है, करीब - आठ - दसलाख रुपयोंका अबरख हरसाल यहांसे गेरमुल्कोमें भेजाजाताहै, कस्बे - हजारीबागमें सरकारी कचहरी - पुलीसटेशन - अस्पताल - और - स्कुल बडी लागतके मकान बनेहुवे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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