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________________ तवारिख - तीर्थ - समेतशिखर. ( २८३ ) डोलीमें सवारहोकरभी- जासकते है, डोलीका इंतजाम अवलरौजसे करना होगा. बरवख्त - डोली -नहीमिलीतो जियारतकों धक्का पहुचे गा, पूजनकेलिये केशर - चंदन - धूप-दीप- सोनेचांदी के वर्क - इत्रदान रकाबी - वगेराचीजे भी अवलरौजही तयारकरलेना चाहियेकि- वख्त पर देरी - न- हो, गर्मीयोके दिनोंमें पहाडपर जानेकेलिये पांवमें कपडे मौजेभी पहन लिये जाय कोइहर्जनही, जिससे पहाड़के कंकर -- पथर -- और गर्मजमीन पैरोंकों लगकर छाले - न- पडजाय, अगर पांवकों तकलीफ होगइतो दुसरेरीज जियारतजाना मुश्किलहोगा, तीर्थ में आनकर कमसेकम तीनयात्रातो जरुरकरनाचाहिये कितनेक एसेपतले दुबले और नाजुकमिजाज होते है कि उनकों एयात्राकरनाभी दुसवारहोजाता है, जहांतकबने तीर्थकखजाने में भीकुछरकम - देनी चाहिये, जिनेंद्रदेव - वीतराग है उनकों रुपये पैसोसे जरुरतनहीं, मगर तुमारीफर्ज है कि - तीर्थ की हिफाजत के लिये- कुछरकमदेना, कितनेक ऐसेकंजुस होते है कि - एकपैसाभी देना उनसे बन नही सकता, मगरदलीले ऐसी करतेहैकि - वीतरागों को पैसोंसे क्यागरज ! तीर्थो में खजाना किसलिये ! ! और नोकर चाकर घंटा - घडियाल क्यौं, ? मगर - ये सब बाते गलत - और नाजाइज है, तुम - जो बतौरधर्मकी राहपरदेते हो - अगळेजन्ममे - तुमारी भलाइके लियेदेतेहो, जिनको अगलेजन्ममें मुक्तिपानाहो-धर्म करे-लाखोकरोडों - बल्कि ! अर्ब - खर्बतक रुपये पेस्तरके जमाने में लोगोने दिये है, और तीर्थो की हिफाजत कि है. धर्ममे किसीपरजोराजोरी नहीकि जाती, जिसकी - मरजीहो धर्म करे, - मधुबनसे आगे पहाडपर जानेका रास्ता शुरु होता है, और जब करीब एक कोशके पहुचोंगे रास्तेमें एक चाह बागान मिलेगा, यहां पर निहायत उमदा चाह के पेंड खडे है और चाह बहुतपैदा होती है, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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