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( २८२ ) तवारिख-तीर्थ-समेतशिखर. इंद्रदेवते-और राजेमहाराजे उनकी खिदमतमें हाजिररहतेथे, वडेबडे जलसे-और मुवारकवादीये इसपहाडर गुजरचुकी है, कइमुनिमहर्षि-इसपहाडपर मोक्षको पाये. बेशुमारधनदोलत खुशनसीबोंने यहां सर्फ किइ. पेस्तर इस पहाडपर हाथीयोंका बनथा, मगर ब-सबब यात्रीआनेजानेके हाथीयोंका रहनाकाहोतागया. शेर-गेंडा-सांवरशींगी-भेसाहिरन-रोझ-रांछ-और-बंदरवगेराभी रहाकरतेथे, मगर-वेभी-अबकमह. कभीकभी-शेर-यहांपर नजरआताभी है. मोर-तोते-मैना-बुलबुल-चीडीया-तीतर-कबुतर वगेरा हरफसलीपरीदा-यहांपर दख्तोंके झुंडाग हमेशां कलोल करतेरहते है, तरहतरहकी मेवाजातवनस्पति-पेस्तरकेजमानेमें--यहांपर होतीथी. आम-खिरनी-केले-चीरोंजी-वंशलोचन-कचनार-नालियेर-सुपारी-जंभीर-खजूर-नींबु-हरड-वहेडे-आमले- केतकीकदंब-ताड-तमाल-मोघरा-गुलाब--चंपा-अशोक--जाइ--जुइ-दमन-मरुआ-सेवती-मालती-मचकुंद-चंदन--सागुन--खेर--इमलीपलाश-अखरोट-अनार-बगेरा बगेरा. जिनसे कइअव यौजूद है
और कइ नाजुक मिजाज-चीजें ब-सबर तबलजमानेके कमहोगइ, कामराज-हाथाजोडी-पातालकोला-धनजीरा-कालिलाखनअनंतमूल-और-रतनजोत-अवभी यहांपर मौजूदहे, कइजडीबुटीऐसीभी है जिसकेजाननेवाले नहीरहे, सांप और वीकेजहेर उतारनेकी जडीभी यहांपर पैदाहोती है, गरजाक-पहाइपर जिवरदेखो जंगली मेवाजातचीजें सबजी-फुल-कलि-बाग-बगीचे-खुशबू-और हरेहरेडदिलखुश-व-ताजाकरनेवालीचींजे नजरआती है, शिखरजीके पहाडकीचढाइ करीब तीनकोशकी-बीशटोंकोंको सफरभी तीनकोश-औरउतराइभी तीनकोशकी-कुल- ( ९) कोशको सफरयात्रीकों होगी कपडेपाक-और-बदन साफहोकर जियारतकों जानाचाहिये, जो. यात्री पांवपैदलजानाचाहे शौखसें जाय, मगर जिनकीताकातनहीं है
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