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________________ ( २६८ ) तवारिख-तीर्थ-काकंदी-और-क्षत्रीयकुंडगांव, आलीशान धर्मशाला यहांपर बनी हुइहै, यात्री इसमें कयाम करे, बडे बडे कमरे-दालान-और-हवादार मकान बनेहुवेहै,-तीर्थकी जियारतकरे, क्षत्रीयकुंड गांवको आजकल लछवाड गांव बोलते है इसकेपास एकपहाड जिसका नामभी लछवाड मशहरहै अत्रीयकुंड गांवसे करीव ( १॥) कोसके फासलेपर वाके है, ज्ञातवनखंड उ द्यान जहां-तीर्थकर महावीर स्वामीने दीक्षा इख्तियार किइथी, ' रवन्नकदार जगह है, वडा वसीमेंदान और बडे बडे दख्न-यहांपरखडे है, जिसकी छाया देखकर आदीकी तबीयत खुशहोजाती है, और-यही-जी-चाहताहैकि-यहांही वेठेरहे. ___ क्षत्रीयकुंउ गांवके मंदिरका दर्शन करके यात्री दुसरे रोज पहा डपर जावे, गांवसे पहाडतक जानेके लिये वेलगाडी-डोली-वगेरा सवारी मिलसकती है, जिसकों पांवपैदलजाना मंजूरहो-वैसे-जाय, डोलीमें जानाहो-डोलीमें जाय, पहाडकी तराइमें ( २ ) जैनश्वेतांबर मंदिर बनेहुवेहै, रास्तेमें एक छोटी नदीभी मिलती है. अत्रीय कुंडगांवसे हरहमेश पुजारी यहां आनकर पुजाकर जाताहै, यात्री इन दोनों मंदिरोके दर्शनकरके पहाडपर जावे, रास्ते में तरह तरहके द्रख्त-और-जंगली मेवाजातके पेंडखडे है, चीता-शेर-रीछ वगेरा जानवरभी इस पहाडमें रहतेहै मगर बदौलत तीर्थ भूमिके किसीकों तकलीफ नहीदेते, पहाडका चहार करीब एककोशका-और-जवठीकसीरेपर पहूचोगे तीर्थकर महावीर स्वामीका एक-आलिशानमंदिर मिलेगा, मूर्ति इसमें तीर्थकर महाविर स्वामीकी शामरंग निहायत खूबसुरत तख्तनशीनहै. अगर पूजा करना चाहो-पूजाभी-करशकतेहो, पानी बगेराका इंतजाम सब मौजूदहै, अतराफ मंदिरके कोट खीचाहुवा-बहार-बडीबडी शिला-चटाने-चिश्मेवाद और-तरह तरहके जंगलीपेंड खडेहै, यात्री यहां खानपान करना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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