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________________ तवारिख-तीर्थ-काकंदी-और-क्षत्रीयकुंडगांव. ( २६७ ) किया और उमदागति पाइ, जैनश्वेतांबरमंदिर-यहांपर-निहायत पुख्ता बनाहुवाहै, और इसमें-तीर्थकर पार्श्वनाथमहाराजकी-मूर्ति तख्तनशीनहै, जोकि-संवत् (१५०४) फाल्गुनसुदी सप्तमीकी प्रतिष्टित निहायत खूबसुरत-और-अतिशययुक्तहै, तीर्थकर सुविधिनाथमहाराराजके कदमभी इसमें जायेनशीनहै, जो-संवत् (१८२२ ) वैशाखमुदी छठके प्रतिष्टितहै, करीव मंदिरके धर्मशाला बनी हुइ-यात्री-इसमें कयामकरे, और तीर्थकी जियारतकरे, खानपानकी चीजे यहां अछीनही मिलती, लखीसरायसे बंदोबस्तकरते आनाचाहिये, तीर्थ-काकंदीकी--जियारतकरके यात्री क्षत्रीयकुंडगांवकी जियारतकों जावे, KB ( तवारिख-तीर्थ-क्षत्रीयकुंड गांव ) काकंदीसे (९) कोशके फासलेपर तीर्थंकर महावीरस्वामीकी जन्मभूमि क्षत्रीयकुंड गांव पुराना जैन तीर्थहै, सिद्धार्थ राजाकेघर त्रिशलारानीकी कुखसें चैतमुदी (१३) उत्तराफाल्गुनी नक्षत्रकेरौज उनका यहां जन्महुवा, उनोने अमल्दारी इख्तियार नहिकिइ, और धर्मकी राहपर कदमर खा, पेस्तरदीक्षाके एक सालतक उनोने यहां बहुत खैरातकिइ, और मृगसीर सुदी (१०) उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्रके रोज दुनियाके ऐश आराम छोडकर उनोने यहां ज्ञात वनखंड उद्यानमें दीक्षा इख्तियारकिइ. साडेबारां वर्षतक तप किया, और वैशाखसुदी (१०) उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्रके रोज रिजुवालुका नदीके कनारे उनकों यहां केवल ज्ञानपैदाहुवा. इंद्रदेबता वगेरा उनकी खिदमतमें आतेथे, क्षत्रीयकुंड गांव पेस्तर ज्यादहरवनकपरथा, जोकोइ यात्री मुल्क पूरवकी जियारतकों जावे क्षत्रीयकुंड गांवकी जियारत जरुरकरे, तीर्थकर महावीर स्वामी की जन्मभूमि होनेसे बडीपाक जगहहै, एकजैन श्वेतांबर मंदिर-और बड़ी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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