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________________ तवारिख - पावापुरी - और - गुणशिलवनउद्यान ( २५३ ) चढापा - जैन श्वेतांबर संघ के ताल्लुक है खानपानकी चीजे आटा-दाल - घी-दूध - सकर - वगेरा हरवख्त यहां मिलसकती है, यात्रीकों कोइतकलीफ नहीहोगी, - ( तवारिख पावापुरीकी खतम हुइ . ) ET [ तवारिख गुणशिलवन उद्यान ] गुणशिलवन उद्यान - जिसकों - आजकल - गुणायाजीगांव बोलते है, करीब ( ३०० ) आवादीका एककस्वा रहगया, यहांपर Creators asratमती पुख्ता और पायदार मंदिर देखकर पावापुरीके हालात मालूम देते है. पावापुरीका काम बेशक ! बडा है यहांका तालाब - मंदिर वगेरा छोटे है, तालावके कनारेसे मंदिर तकजानेकेलिये पुल पकाबंधाहुवा जो करीब ( १७५ ) हाथलंबा और ( ४ ) हाथचौदा - दोनोतर्फ पुख्ताकठहरा बना हुवा - यात्री पुलपरहोकर मंदिरको जावे, वारीशकेदिनोंमें तालाब पानी से भरजाता है मगर गर्मीयोंके दिनोंमें बेशक! सुकजाता है, मंदिरमें मूलनायक तीर्थंकर महावीर स्वामीकी मूर्ति एकफुटबडी निहायत खूबसुरत तख्तमशीन है दर्शनकरके दिलखुशहोगा, कदम तीर्थकर महावीरस्वामी के - संवत् ( १६८६ ) के प्रतिष्टित - इसीमें जायेनशीन है. बायीतर्फ एकआलेमें कदम गौतमस्वामीके जायेनशीन है और उसपर लिखाहै संवत् (१६८८) मे - ये प्रतिष्टित किये गये, अग्निकोंनकी छत्रीमें वीशतीर्थंकरोके कदम संवत् (१९२४) के प्रतिष्टित जायेनशीन है, वायव्यकोंनकी छत्रीमें संवत् ( १९२४) के प्रतिष्टित तीर्थकर नेमनाथजीके कदम - नैरुत्यकॉनकी छत्रीमें रिषभदेवस्वामीके कदम - और - इशानकोंनकी छत्रीमें तीर्थंकर वासुपूज्यस्वामी कदम - उसी संवत् (१९२४) के प्रतिष्टित जायेनशीन है, इसमंदि Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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