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( २५४ ) तवारिख-पावापुरी-और-गुणशिलवनउद्यान. रकी मरम्मत संवत् (१९२४ ) में रायबहादूर धनपतसिंहजीसाकीन मुर्शिदाबादने करवाइ, और एकधर्मशालाभी यहां बनवाइ,
मंदिरके रंगमंडपमें फर्स शंगेमर्मरका-और-वेदी-संवत् (१९५९) में-शेठ-रंगीलदास रुपचंद-साकीन एवला-मुल्कदखनने तामीर करवाइ, और धर्मशालामें पांचकोठरी बनवाइ, बगीचा एक-धर्मशालामें-बनाहुवा-जिसमें-गुलाब-चमेली-बेला--गुलदाउदी-जुही-कुंद-वगेराके फुल पैदाहोते है और पूजनमें चढायेजाते · है, यात्री धर्मशाला दिलचाहे जहां कयामकरे और तीर्यकी जियारत हासिल करे, तीर्थ गुणशिलवनउद्यानमें गुमास्ता-पूजारी-सिपाही-और-माली-वगेरा हमेशांके लिये तैनात है, खानपानकी मामुलीचीजे यहां मिलसकेगी, अछीचीज कस्बे नवादेमें-मिलेगी, जो करीब (१॥) कोशके फासलेपर वाकेहै,-तवारिख पंचतीर्थी खतमहुइ,
[जैनतीर्थगाइडका-प्रथम-भाग-समाप्त,-]
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